है कठिन जमाना लिए कठिन दर्द
अन्याय की दीवारों में ,
जख्मो की बेड़िया पड़ी हुई है
परवशता के विचारो में ।
रोते -रोते शमा के अश्क
बदल गये अब सिसकियो में ,
हर दर्द उठाती है मुस्कान
इस बेदर्द जमाने में ।
छुपाये नही छिपते है आंसू
हकीकत के इन आँखों में ,
एक जीत नजर आती है जिंदगी
जीवन के इन हारो में ।
रात को रौशन कर देगी कभी
चाँदनी अपने उजालो में ।
टिप्पणियाँ
चाँदनी अपने उजालो में ।
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
जीवन के इन हारो में ।
रात को रौशन कर देगी कभी
चाँदनी अपने उजालो में...
बहुत उम्दा रचना.
चाँदनी अपने उजालो में ।
गहरा आशावाद ... सुंदर अभिव्यक्ति !
जीवन के इन हारो में ।
रात को रौशन कर देगी कभी
चाँदनी अपने उजालो में ।
---उम्मीद बनी रहनी चाहिये.हिम्मत नहीं हारनी चाहिये .
कविता में बहुत अच्छे भाव हैं
नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।
जीवन की इन राहों में
निराशा के बाद आशा का संचार करती एक सुंदर कविता।
जीवन के इन हारो में ।
सुंदर कविता की अति सुंदर पंक्तियां
patjhad hai to basant bhee hai........kisee ke jeet humaree haar to kabhee humareejeet kisee kee haar hotee hai.........
Aabhar
आप यूँ ही लिखते रहिये .....!!
जीवन के इन हारो में ।
रात को रौशन कर देगी कभी
चाँदनी अपने उजालो में...
बेहतरीन भाव ................
हम भी इसी तरह की अनगिनत हारों से गुज़र रहे हैं किसी अंतिम जीत की ही तलाश में.............
सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई........
चन्द्र मोहन गुप्त
हकीकत के इन आँखों में ,
और-
एक जीत नजर आती है जिंदगी
जीवन के इन हारो में ।
ये अभिव्यक्तियाँ पसंद आयीं...बधाई!
सुंदर कृति.
जीवन के इन हारो में ।
रात को रौशन कर देगी कभी
चाँदनी अपने उजालो में ।
aashabad kee bahut hee sundar rachna ...badhayi
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
चाँदनी अपने उजालो में ।
आमीन.
सुन्दर और प्रभावी अभिव्यक्ति. यूँ ही लिखते रहिये.
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ