जिंदगी वफ़ा की सूरत
जब इख्तियार करती है
हर कदम पर तब नए
इम्तिहान से गुजरती है .
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कितनी सुबह निकल गई
कितनी राते गुजर गई
कुछ बाते पहली तारीख सी
आज भी है यही कही .
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मंजिल इतनी आसान होती
तो क्योकर तलाशते
क्यों उम्र अपनी सारी
यू दाव पर लगाते .
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जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
37 टिप्पणियां:
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
सुंदर पंक्तियाँ..... जीवन चलने नाम ही है शायद
*चलने का
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
पर जब अनाहूत किसी की मंजिल पर अनायास कब्जा कर लेते हैं तो ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
..इक रास्ता है ज़िंदगी , जो थम गए तो कुछ नहीं!
सभी पंक्तियाँ बहुत अच्छी हैं ।
जिन्दगी की सुन्दर अभिव्यक्ति. जीजीविषा को जीवंत करती जिन्दगी.
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
आपने बिलकुल सही लिखा है !
बेहतरीन शब्द सामर्थ्य युक्त इस रचना के लिए आभार !!
किन्तु शायद मजा दोनों का अलग अलग है
जीवन चलने का नाम , चलना ही जिन्दगी है रुकना है मौत अपनी
बहुत सुंदर।
जो मज़ा सफ़र में है वह मंजिल में कहा .... सच है , मंजिल तो पड़ाव है सफ़र अनुभव है
सच्ची बात। जीवन चलने का नाम!
मन की क्षणिकाएं अच्छी लगीं
सारे शेर बेहतरीन है
आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचनाएं....
हार्दिक बधाई।
जब चलना ही आनन्द देने लगे, तब जीवन खिलने लगता है।
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
बहुत सुन्दर भाव्।
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
Bahut Badhiya Jyoti Ji..Maza to safar mein hi hai...zindgi ka safar hai ye kaisa safar....
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
जिन्दगी की सुन्दर अभिव्यक्ति.जिंदगी का सफर थमते ही सब थम जाता है. सुंदर कविता के लिए बधाई.
sabhi kshanika bahut sunder hain .gahre bhav
badhai
saader
rachana
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
बहुत खूब! हरेक प्रस्तुति बहुत सुन्दर..
मधुबन हो या गुलशन हो, पतझड़ हो या सावन हो, हर हाल में इंसां का एक फूल सा जीवन हो. हर पल जो गुज़र जाये, दामन को तो भर जाये, इस उम्र की राहों में खुशियों को चुराना है. हंसना ही जीवन है, हंसते ही जाना है.
बहुत अच्छी लगीं ये पंकतिया. इस हेतु आपको साधुवाद.
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ ।
चलते रहना ही जिंदगी है।
बहुत अच्छे भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।
मन को छूने वाली रचना।
sundar kavita
aapake dono blog ko follow kar raha hun
bahut khoob likhati hain aap
nice blog
mere blog par bhi aaiyega aur pasand aaye to follow kariyega
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
बिल्कुल सच्ची बात है इन पंक्तियों में ।
bahut hi sunder panktiyaan..........
aapko padh kar accha laga ma'am!!
सच है ... सफ़र का आनद अलग है ... मंज़िल पे आ के सब कुछ रुक जाता है ...
जिंदगी वफ़ा की सूरत
जब इख्तियार करती है
हर कदम पर तब नए
इम्तिहान से गुजरती है...
वाह...हर एक रचना बहुत सुंदर है.
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
जीवन के विविध भावों से सजी यह कविता बहुत प्रेरक है ....सच में मंजिल को पाने के लिए चलना आवशयक है ..और जब हम मंजिल को पा जाते हैं तो रुकना सही नहीं जिन्दगी चलते रहने का नाम है .....आपका आभार इस सार्थक रचना के लिए ..!
एक अच्छी अभिव्यक्ति है.
- विजय
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
bahut bahut sunder abhivykti .
छोटे छोटे टुकड़ों में ज़िंदगी के सफ़र और मंजिल के फलसफे को बखूबी उतारा है आपने अपनी अभिव्यक्ति में.
एक आधात्म की ओर ले जाने वाली रचना ,,जीवन मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की कामना करने वालों को एक नया संदेश कि यदि मंजिल पाली तो थम गये एक जगह जाकर बैठ गये मोक्ष पाकर । अरे मजा तो पुन जन्म पुन मरण का क्रम चलता रहे इस सफर मे ही मजा है हम बार बार जन्म ले बार बार देश सेवा और लोगों की भलाई करें यही सफर उत्तम है । धन्यवाद अर्थ का अनर्थ करने की kshma प्रार्थना के साथ।
'कुछ मन की' के द्वारा आपने तो जिंदगी के सफर को मजेदार बना डाला.'कर्म योग' जब भक्ति योग बन जाये तो 'अद्वैत' के बजाय 'द्वैत' में ज्यादा आनंद लगने लगता है.
ज्योति जी,आप की निर्मल 'ज्योत' यू हीं प्रकाशित करती रहें अंतर्मन को.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
.........बहुत सुन्दर भाव्।
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