क़ातिल

सरेआम कत्ल कर के भी 
वो शर्मिंदा नही है ,
क्योंकि उसका कहना है 
वो कातिल नही है ।
कई बार सच भी आँखों का 
धोखा होता है ,
क़त्ल करने वाला यहाँ 
कातिल नहीं होता है ।

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Unknown ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Unknown ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Unknown ने कहा…
ज्योति जी मैंने आपकी कविताएं पढ़ी जो की बहुत ही अच्छी तथा भाव विभोर है आपकी कविताएं जैसे हम ,दिल और कातिल जैसी कविताएं बहुत ही अच्छी है आप इस तरह की रोचक कविताएं शब्दनगरी पर भी लिख सकती है। .....

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कुछ दिल ने कहा

अहसास.......

एकता.....