संदेश

अप्रैल, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

युग परिवर्तन

युग परिवर्तन न तुलसी होंगे, न राम न अयोध्या नगरी जैसी शान . न धरती से निकलेगी सीता , न होगा राजा जनक का धाम . फिर नारी कैसे बन जाये दूसरी सीता यहां पर , कैसे वो सब सहे जो संभव नही यहां पर . अपने अपने युग के अनुसार ही जीवन की कहानी बनती है , युग परिवर्तन के साथ नारी भी यहॉ बदलती है ।

हम.......

हम ........ मै को अकेले रहना था  हम को साथ चलना था एक को खुद के लिए जीना था  एक को सबके लिए जीना था ,  इसलिए सबकुछ होते हुए भी   मै यहाँ कंगाल रहा  कुछ नही होते हुए भी  हम मालामाल रहा ।

आखिर ऐसा हुआ क्यों ?

आखिर ऐसा हुआ क्यो ? सही ही गलत का है हकदार क्यों ? बेगुनाह को ही सजा हर बार क्यों ? गीता और कुरान का मान घटा क्यों ? सच जानते हुए भी झूठ चला क्यों ? यहाँ धर्म और ईमान डगमगाया क्यों ? यहाँ गलत करने का डर मिट गया क्यों ? न्याय के आसरे फिर रहे कोई क्यों ? इंसाफ के लिए भटके इधर -उधर क्यों ? खून की जंग चल रही है क्यों ? खून का रंग बदल रहा है क्यो ? मानवता का इतिहास पलट गया क्यों ? सब कब कैसे बदल गया क्यों ? ऐसा होना तो नही चाहिये ,फिर हुआ क्यों ? यकीन को खोना तो नहीं चाहिए ,फिर खोया क्यों ? इतने मजबूर हालात है क्यो ? उलझे-उलझे सवाल है क्यो ? सही ही गलत का है हकदार क्यो ? बेगुनाह को ही सजा हर बार क्यो ?

लेन देन

जीवन की रीत यही है जो देगा उसे ही मिलेगा बीज बो और फूल खिलेगा वृक्ष रोपो तो फल मिलेगा , लेन-देन की शृंखला ही जीवन को परिपूर्ण करेगी , सुख -वैभव का आनंद देकर जीवन मे उल्लास भरेगी । ज्योति सिंह

अपनी राह .....

ये रास्ते है अदब के कश्ती मोड़ लो , माझी किसी और साहिल पे चलो । हम है नही खुदा न है खास ही , राहे - तलब अपनी कुछ है और ही । नाराजगी का यहाँ सामान नही बनना , वेवजह खुद को रुसवा नही करना । बे अदब से गर्मी माहौल में बढ़ जायेगी , कारण तकलीफ की हमसे जुड़ जायेगी । हमें हजम नही होती इतनी अदब अदायगी , चलते है साथ लिए सदा सच्चाई -सादगी । फितरत हमें खुदा ने बख्शी है फकीर की , ले चलो मोड़ कर मुझे अपनी राह ही ।
छोटी सी दो रचनाये --------------------------- महंगाई से अधिक भारी पड़ी हमको हमारी ईमानदारी , महंगाई को तो संभाल लिया हमने इच्छाओ से समझौता कर , मगर ईमानदारी को संभाल नही पाये किसी समझौते पर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मेरी हर हार जीत साबित हुई , बीते समय की सीख साबित हुई l