छोटी सी दो रचनाये

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महंगाई से अधिक

भारी पड़ी हमको

हमारी ईमानदारी ,

महंगाई को तो

संभाल लिया हमने

इच्छाओ से समझौता कर ,

मगर ईमानदारी को

संभाल नही पाये

किसी समझौते पर

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मेरी हर हार

जीत साबित हुई ,

बीते समय की

सीख साबित हुई l

टिप्पणियाँ

ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 02/04/2019 की बुलेटिन, " २ अप्रैल को राकेश शर्मा ने छुआ था अंतरिक्ष - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
Meena Bhardwaj ने कहा…
अत्यन्त सुन्दर ।

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