बुधवार, 11 सितंबर 2019

धीरे --धीरे ...

टूट रहे सारे  रिश्ते

कल के धीरे- धीरे

जुड़ रहे सारे रिश्ते

आज के धीरे - धीरे ,

समय बदल गया

सोच बदल गई

मंजिल की सब

दिशा बदल गई ,

हम ढल रहा है अब

मै  में धीरे  -धीरे

साथ रहने वाले  अब

कट रहे  धीरे  -धीरे ,

सबका अपना आसमान है

सबकी अपनी जमीन हो  गईं ,

एक छत  के नीचे  रहने

वालों की  अब कमी हो गई ,

रीत बदल रही

धीरे - धीरे

प्रीत बदल रही 

धीरे - धीरे ।

6 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 13 सितम्बर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Jyoti Singh ने कहा…

धन्यवाद यशोदा जी ,अवश्य आऊँगी नमस्कार

दिगम्बर नासवा ने कहा…

धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है ... रिश्ते बदल रहे हैं ... और हम भी तो बदल रहे हैं ...
अच्छी रचना है ...

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर रचना आदरणीया

नूपुरं noopuram ने कहा…

धीरे धीरे
बीज वृक्ष बनेगा ।
पर जो बोयेंगे
वही उगेगा ।

Jyoti Singh ने कहा…

बहुत सुंदर ,तहे दिल से शुक्रिया दोस्तों