हमारे दरम्यान के सभी रास्ते यकायक बंद हो गये
क्या कहे ,न कहे हम इस सवाल पर अटक गये ।
हम जानते है ये खूब ,दगा फितरत मे नही तुम्हारे
कोशिश तो थी मिटाने की ,मगर दाग फिर भी रह गये ।
जब भी बढ़कर उदासी मे तुम्हे गले लगाना चाहा,
तभी कुछ चुभने लगा और कदम ठहर गये ।
सब कुछ ख़ामोशी मे दबकर तो रह गया
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ।
हर बात गहरे यकीन का अहसास दिलाती है
पर वो नही कभी कह पाये जो तुम कह गये ।
9 टिप्पणियां:
जय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
22/09/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-09-2019) को "पाक आज कुख्यात" (चर्चा अंक- 3466) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत बहुत धन्यवाद ,हृदय से आभारी हूँ आप सभी की
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर! मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ।
बहुत सुंदर रचना
बेहतरीन रचना ,सादर
वाह!!!
बहुत सुन्दर..
समेट लिया है मन के सारे भावों को
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