रविवार, 26 अप्रैल 2020

आस का दीपक

पतन से पहले

अंत बुराई का

निश्चय ही होता है ,

तब आस का दीपक

हरदम ही जलता है

यही वजह है

अंश यहां

मानवता का जिंदा है ,

घायल तो है

जमीर यहाँ 

पर वो शर्मिंदा है ।

2 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

एक आस का दीपक ही है जी प्रकाश ले आता है हर अन्धकार में ...
सुन्दर रचना ...

Jyoti Singh ने कहा…

Shukriya digambar ji