समय चक्र......
रूचि, इच्छाएं, सपने,
स्वाभाव, व्यवहार,
स्वाद, रंग-ढंग
सोच- विचार,
रास्ते, दिशाए,
समय, आवश्यकताएं
इत्यादि... जब
बदलतें हुई दिखाई देने लगे
तब मनुष्य का बदलना भी
आरंभ हो जाता हैं
मनुष्य के बदलने से
समाज, देश, दुनिया में
नूतन परिवर्तन का युग
प्रारम्भ हो जाता हैं
इस तरह बदलते दौर का
इतिहास रचा जाता हैं
और
हम कहते हैं....
कल जैसा कुछ न रहा
समय बहुत बदल गया
अब वो जमाना नहीं रहा
समय बदलता ही हैं
समय के साथ सबको
बदलना ही पड़ता हैं
संग उसके चलना ही पड़ता हैं
यही समय चक्र हैं.....।
⏳⏳ज्योति सिंह 🙏🙏
टिप्पणियाँ