अहसास.........
धीरे-धीरे यह अहसास हो रहा है,
वो मुझसे अब कहीं दूर हो रहा है।
कल तक था जो मुझे सबसे अज़ीज़,
आज क्यों मेरा रकीब हो रहा है।
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इन्तहां हो रही है खामोशी की,
वफाओं पे शक होने लगा अब कहीं।
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जिंदगी है दोस्त हमारी,
कभी इससे दुश्मनी,
कभी है इससे यारी।
रूठने -मनाने के सिलसिले में,
हो गई कहीं और प्यारी ।
वो मुझसे अब कहीं दूर हो रहा है।
कल तक था जो मुझे सबसे अज़ीज़,
आज क्यों मेरा रकीब हो रहा है।
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इन्तहां हो रही है खामोशी की,
वफाओं पे शक होने लगा अब कहीं।
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जिंदगी है दोस्त हमारी,
कभी इससे दुश्मनी,
कभी है इससे यारी।
रूठने -मनाने के सिलसिले में,
हो गई कहीं और प्यारी ।
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इस इज़हार में इकरार
नज़रंदाज़ सा है कहीं,
थामते रह गए ज़रूरत को,
चाहत का नामोनिशान नहीं.
टिप्पणियाँ
Sahi mein....bahut...bahut khoobsurati se shabdon ko piroya hai, apni bhawnaon ke saath.
Aur khaas baat to dekhiye, ise hi shayad bahut kam logon ne padha hai.....:)
Ho sake to repost zaroor kariyega. Mujhe pura bharosa hai sabko bahut pasand aayega.
Sifar
धन्यवाद!
shubhkamnayen.