उम्मीद

समझौता भी आता है,

सम्हलना भी आता है।

ज़िन्दगी को जीने का

हल निकल आता है।

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गम को खुशहाल बना रही हूँ,

जख्मों को भरती जा रही हूँ।

चंद ख्वाहिशे अब भी है मेरे साथ ,

उनके लिए रास्ते तलाश रही हूँ.

टिप्पणियाँ

बहुत सुन्दर रचनायें....लिखती रहें...बधाई.
Harshvardhan ने कहा…
behatareen rachna........
good thinking and good word selection,congrats.keep it up ,you will make your presence felt.
Dr.Bhoopendra
Yogesh Verma Swapn ने कहा…
sunder rachnayen. blog jagat men swagat hai.
आपकी रचना बहुत खूबसूरत है...
Ashok Kumar pandey ने कहा…
सुंदर भावनाएँ ... बधाई
Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…
achchi kavita-

http://www.ashokvichar.blogspot.com
नवनीत नीरव ने कहा…
samadhan agar mil jaaye to raste khud ba khud hi nikal aate hai.
Nanvit Nirav
श्यामल सुमन ने कहा…
बहुत खूब। कहते हैं कि-

ख्वाहिशों को खूबसूरत शक्ल देने के लिए।
ख्वाहिशों की कैद से आजाद होना चाहिए।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आशा से भरी हुयी सुन्दर रचना..........
स्वागत है आपका ब्लॉग जगत में
ज्योति सिंह ने कहा…
आप सब मेरे ब्लौग पर आये,मेरा उत्साहवर्धन किया, इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
बेनामी ने कहा…
सुन्दर रचना

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