शनिवार, 3 अक्तूबर 2009

चाँद सिसकता रहा

चाँद सिसकता रहा

शमा जलती रही ,

खामोशी को तोड़ता हुआ

दर्द कराहता रहा ,

और फ़साना उंगुलियां

कलम से दोहराती रही ,

आँखों के अश्क में

शब्द सभी नहाते रहे ,

रात के अँधेरे में

ख्याल लड़खड़ाते रहे ,

एक लम्बी आह में

शब्द ठहर गए ,

उंगुलियां बेजान हो

साथ कलम का छोड़ गई ,

दर्द से लिपट

असहाय बनी रही ,

और लिखे क्या

बात लिखने की रही नहीं ,

और फ़साने गढे नहीं

रह गये अधूरे कही ,

शून्य सा समा बाँध

चाँद भी बेबस रहा

चाँद सिसकता रहा ........... ।

18 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

chaand sisakta bhee hai to kitnee khamoshee se...naa aah kaheen, na qatra ek...

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सुन्दर रचना.

के सी ने कहा…

मुझे यकीन तो था कि आप एक दिन कोई लाजवाब रचना लिखेंगी पर इतना जल्दी ऐसा नहीं सोचा था. "एक लम्बी आह..." से पहले के शब्द मनोहारी हैं वे सीधे अपना जादू जागते हैं.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

BAHOOT HI SUNDAR LIKHA HAI ... SACH MEIN CHAAND TO BECHAARA AKELA PYAASA HI SISAKTA RAHTA HAI .....

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

tanhai ko bahut achche se dard ke saath shabdon men dhaala hai. bahut khoob.

ज्योति सिंह ने कहा…

kshama ji ,vandana ji shukriyan .

ज्योति सिंह ने कहा…

digamber ji,kishore ji ,yogesh ji aabhari hoon dil se .dhayawaad .

sandhyagupta ने कहा…

Shabdon se jadu sa kar diya.Yun hi likhte rahen.

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

उंगुलियां बेजान हो
साथ कलम का छोड़ गई ,
दर्द से लिपट
असहाय बनी रही ,
और लिखे क्या
बात लिखने की रही नहीं ,
और फ़साने गढे नहीं
रह गये अधूरे कही ,
शून्य सा समा बाँध
चाँद भी बेबस रहा ।
चाँद सिसकता रहा ........... ।
dard jab had se gujar jaata hai tab hi karishma hota hai...aisa hikuch suna tha...aaj dekh bhi liya..

khoobsurat rachna...

ज्योति सिंह ने कहा…

ada ji aapki to baat hi nirali hai aur kya kahe shukriyaan .

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

ये कम्बखत लम्बी आहें गाड़ी को रिवर्स गियर में क्यूँ आखिर क्यूँ ले आती है..........शायद भावुकता.

सुन्दर, गहन भावों से भरी बढ़िया प्रस्तुति.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

रात के अँधेरे में
ख्याल लडखडाते रहे
एक लम्बी आह में .....

वाह......वो आह ही तो थी
जो बीजी थी आसमां ने इक दिन
दर्द के आँचल में
तभी तो अंधेरों में जब वो लडखडाती है
कई फसाने गढ़ने लगता है चाँद
सितारों के आगोश में .....

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut shaandaar tippani hai aap dono ki .shukriyan harkirat ji ,chandra mohan ji .

शोभना चौरे ने कहा…

ज्योतिजी
बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता |ऐसी ही कलम के माध्यम से रश्मिजी ने बहुत सुन्दर बात कही है \संयोग है कि एक ही दिन कलम पर अलग अलग कविता पढ़ने को मिली |
बधाई

ज्योति सिंह ने कहा…

shobhna ji shukriyaan .

vijay kumar sappatti ने कहा…

jyoti ..namaskar

this is the ultimate work of words.. mujhe aapki ye kavita bahut pasand aayi . man ko choo gayi aur haan aankho ko bhi bhigo gayi ...

is post ke liye meri badhai sweekar kare..

dhanywad

vijay
www.poemofvijay.blogspot.com

i sent you a request jyoti ji ..

ज्योति सिंह ने कहा…

shukriyaan vijay ji

अपूर्व ने कहा…

लगता है जैसे कि इसे लिखने से पहले का ही भावपूर्ण चित्रण है..एक पूरा चित्र का खिंच जाता है दिमाग मे.