कुछ ऐसे भी रिश्ते .होते .....
जाने क्या तुमसे रिश्ता है जो
कभी विरोध नही कर पाया मन ।
किस जन्म का साथ निभाने
आया , ये अन्तः मन का बंधन ।
उम्र सारी गुजर गई
एक अजनबी पहचान सी ,
फिर भी जिद्दी मन ये बोले
है नही आज का ये ,
है ये ,बरसो का बंधन ।
टीस उठी और आंखों में
आंसुओ का छाया घना सघन ।
ये मिलन जुदाई बनकर क्यो आई
क्यो तड़पे हर पल मन ।
इतने गहरे रिश्ते का
मध्यम सा है ,क्यो सावन ?
हम -तुम ढूंढ रहे जो मौसम
क्यो होता नही, उसका आगमन ।
उन बहार भरे रंगों के संग
झूमेगा ,किस दिन मन का आँगन ।
हलचल भरे ख्यालो में
उलझन भरे सवालों में ,
भारी होता जाये मन
बढ़ जाये दिल की धड़कन ।
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ये कुछ पंक्तियाँ डायरी से ली गई है ,इसलिए इस रचना को कविता के रूप में न ले क्योंकि लिखते वक्त कविता का रूप ले ली थी मगर लिखी गई थी दूसरे रूप में ,इस कारण एक दिन के लिए डाल रही हूँ । क्योकि साल गिरह है , इस अद्भुत रिश्ते का । और अपने ब्लॉग पर अंकित करने के उद्देश्य से भी ।
कभी विरोध नही कर पाया मन ।
किस जन्म का साथ निभाने
आया , ये अन्तः मन का बंधन ।
उम्र सारी गुजर गई
एक अजनबी पहचान सी ,
फिर भी जिद्दी मन ये बोले
है नही आज का ये ,
है ये ,बरसो का बंधन ।
टीस उठी और आंखों में
आंसुओ का छाया घना सघन ।
ये मिलन जुदाई बनकर क्यो आई
क्यो तड़पे हर पल मन ।
इतने गहरे रिश्ते का
मध्यम सा है ,क्यो सावन ?
हम -तुम ढूंढ रहे जो मौसम
क्यो होता नही, उसका आगमन ।
उन बहार भरे रंगों के संग
झूमेगा ,किस दिन मन का आँगन ।
हलचल भरे ख्यालो में
उलझन भरे सवालों में ,
भारी होता जाये मन
बढ़ जाये दिल की धड़कन ।
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ये कुछ पंक्तियाँ डायरी से ली गई है ,इसलिए इस रचना को कविता के रूप में न ले क्योंकि लिखते वक्त कविता का रूप ले ली थी मगर लिखी गई थी दूसरे रूप में ,इस कारण एक दिन के लिए डाल रही हूँ । क्योकि साल गिरह है , इस अद्भुत रिश्ते का । और अपने ब्लॉग पर अंकित करने के उद्देश्य से भी ।
टिप्पणियाँ
कभी विरोध नही कर पाया मन ।
किस जन्म का साथ निभाने
आया , ये अन्तः मन का बंधन ।
उम्र सारी गुजर गई
एक अजनबी पहचान सी ,
फिर भी जिद्दी मन ये बोले
है नही आज का ये ,
है ये ,बरसो का बंधन ।
हां मुझे लगता है जिस के दिल है, जिस की भावनाये जिंदा है उन सब को यह एहसास जरुर होता होगा... बहुत सुंदर कविता.
आप हा धन्यवाद
उलझन भरे सवालों में,
भारी होता जाये मन,
बढ़ जाये दिल की धड़कन
अबूझ भविष्य में संवेदनाओं की डांवाडोल होती अनुभूति को बहुत करीने से उकेरा है आपने........
बधाई.
सालगिरह किसकी, कुछ स्पष्ट न हो सका, इसीलिए कहना पड़ रहा है यथायोग्य बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
Rachna ne mano mere dil se alfaaz chheen liye! Nihayat sundar!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
kavita nhi hai fir bhi kvita hi ban pdi hai .bahut sundar
abhar