रविवार, 22 नवंबर 2009

कुछ बातें सवाल लिए

औपचारिकता के चक्रव्यूह में

अगर हर रिश्तें निभाएंगे

अभिमन्यु की तरह हम भी

उलझ कर फिर रह जायेंगे

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दूर तक सागर सा फैलाव लिए

क्या कोई मुस्कान बिखरी होगी ?

जिंदगी तेरे युग की व्यस्तता में

इस विस्तार की कमी तो होगी ?

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उपदेश ऊँचे -ऊँचे

बातें बड़ी -बड़ी

न्याय एवं परोपकार के

नाम पर , कुछ नही ,

विरोधाभास का उदाहरण

बेहतर इससे नही कही

14 टिप्‍पणियां:

Apanatva ने कहा…

औपचारिकता के चक्रव्यूह में
अगर हर रिश्तें निभाएंगे ।
अभिमन्यु की तरह हम भी
उलझ कर फिर रह जायेंगे ।

बिलकुल सही लिखा आपने |

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

औपचारिकता के चक्रव्यूह में
अगर हर रिश्तें निभाएंगे ।
अभिमन्यु की तरह हम भी
उलझ कर फिर रह जायेंगे ।

bahut sahi, sunder abhivyakti.

ज्योति सिंह ने कहा…

shukriyaan apanatva ji aur yogesh ji ,saralta aur saadgi se door banavati rishton me hum syam ko uljhate jaa rahe hai aur isse santusht bhi nahi ho rahe ,kya man ko aese me taslli de paate hai hum sabhi ,

संजय भास्‍कर ने कहा…

बिलकुल सही लिखा आपने |

संजय भास्‍कर ने कहा…

दूर तक सागर सा फैलाव लिए
क्या कोई मुस्कान बिखरी होगी ?
लाजवाब पंक्तियाँ

संजय भास्‍कर ने कहा…

भावों को इतनी सुंदरता से शब्दों में पिरोया है
सुंदर रचना....

SANJAY KUMAR
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

औपचारिकता के चक्रव्यूह में
अगर हर रिश्तें निभाएंगे ।
अभिमन्यु की तरह हम भी
उलझ कर फिर रह जायेंगे ।

bilkul sahi kaha aapne.....

bahut achchi lagin yeh triveni....

padmja sharma ने कहा…

ज्योति जी
आपकी पीड़ा वाजिब है मगर आज रिश्तों में औपचारिकता बढ़ती जा रही है .आप राजस्थान से जुड़ी यादों को शेयर कर सकती हैं .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

औपचारिकता के चक्रव्यूह में
अगर हर रिश्तें निभाएंगे ।
अभिमन्यु की तरह हम भी
उलझ कर फिर रह जायेंगे । ...

KAMAAL KI BAAT KAH DI AAPNE ... JEEVAN KI SACCHHAAI .... LAJAWAAB ..

Urmi ने कहा…

जीवन की सच्चाई को आपने बखूबी शब्दों में पिरोया है ! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने!

daanish ने कहा…

zindgi ko bilkul qreeb se
mehsoos karvaati huee
saarthak kshanikaaeiN .

शरद कोकास ने कहा…

औपचारिकता का चक्रव्यूह यह अच्छा बिम्ब है ।

अनूप शुक्ल ने कहा…

क्या बात है!!! अनौपचारिक हो जायें!!!!!

ज्योति सिंह ने कहा…

anup ji bahut hi prasannta hui aapko yaha dekh ,aapki andaz hi kuchh nirale hai ,man khush ho gaya tippani padh ,shukriyaan