शनिवार, 21 अगस्त 2010

बेलगाम ख्यालो .....


हर क्षण , हर पल

फैसले यहाँ बदलते है

ज़िन्दगी जीने की चाह भी

कितने रंग में ढलती है

अस्थाई ख्वाहिशों के महल

निराधार ही होते है

बेलगाम ख्यालो के संग

फिर भी

हवाओ में सफर तय


करते है

11 टिप्‍पणियां:

सुधीर राघव ने कहा…

बहुत ही सुंदर लिखा आपने

संजय भास्‍कर ने कहा…

हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया.

अरुणेश मिश्र ने कहा…

......फिर भी हवाओँ
मे सफर तय करते हैं ।
प्रशंसनीय ।

राज भाटिय़ा ने कहा…

क्या बात है जी, बहुत खुब

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

किसमे हिम्मत है जो हमारी हिम्मत को फ़तेह कर दे भले ही हो जाएँ ख्वाहिशों के महल निराधार
किसमे ताकत है की हवाओं के रुख मोड पाए.

सुंदर शब्द रचना.

अजय कुमार ने कहा…

ख्यालों में तो पता नही कहां कहां पहुंचते हैं हम

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये ख्याल न हों तो जीवन कहाँ ... ये ही तो जीने की शक्ति देते हैं ... अच्छी रचना है ...

Mithilesh dubey ने कहा…

लाजवाब रचना लगी , बधाई ।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

जीने की चाह भी कितने रंग में ढलती है....
...बेलगाम ख्यालों के संग फिर भी..
..हवाओं में सफ़र तय करते हैं....

वाह...क्या बात है....
काव्य सृजन की बुलंदियों का
दस्तावेज है ख्यालों की ये परवाज़.