आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है कल (16-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
नन्ही सी कविता में छायावाद का दर्शन करा दिया आपने.बधाई.ब्लॉग गुरतुर गोठ में पधार कर आपने मेरी रचना पढ़ी,सराहा,इस हेतु धन्यवाद.कभी हमारे पारिवारिक ब्लोग्स में जरूर आईयेगा.
जिंदगी का जिंदगी पे अधिकार नही रहा इसीलिए उम्र का अब कोई हिसाब नही रहा , आज है यहाँ , कल जाने हो कहाँ साथ के इसका एतबार नही रहा , मोम सा दिल ये पत्थर न बन जाये हादसों का यदि यही सिलसिलेवार रहा , जुटाते रहें तमाम साधन हम जीने के लिए मगर सांस जब टूटी साथ कुछ नही रहा , देख कर तबाही का नजारा हर तरफ अब बुलंद तस्वीर का ख्वाब नही रहा , वर्तमान की काया विकृत होते देख भविष्य के सुधरने का गुमां नही रहा , सोचने को फिर क्या रह जाएगा बाकी हाथ में यदि कोई लगाम नही रहा l
जिंदगी वफ़ा की सूरत जब इख्तियार करती है हर कदम पर तब नए इम्तिहान से गुजरती है . .............................. ... कितनी सुबह निकल गई कितनी राते गुजर गई कुछ बाते पहली तारीख सी आज भी है यही कही . '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''' मंजिल इतनी आसान होती तो क्योकर तलाशते क्यों उम्र अपनी सारी यू दाव पर लगाते . ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; जो मजा सफ़र में है वो मंजिल में कहाँ थम जाती है जिंदगी सब कुछ पाकर यहाँ .
ओस की एक बूँद नन्ही सी चमकती हुई अस्थाई क्षणिक रात भर की मेहमान ___ जो सूरज के आने की प्रतीक्षा कतई नही करती , चाँद से रूकने की जिद्द करती है , क्योंकि दूधिया रात मे उसका वजूद जिन्दा रहता है , सूरज की तपिश उसके अस्तित्व को जला देती है ।
टिप्पणियाँ
लेकिन मेरी कल्पनाओ को
करता है वही साकार .
क्या बात है ,,,वाह !!!!
लेकिन मेरी कल्पनाओ को
करता है वही साकार .
बहुत खूब.
फिर क्यूँ न निराकार भी आपकी कल्पनाओं को साकार करे.
आपकी 'उम्मीद' अदभुत है,अति सुन्दर है.
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (16-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
इसमें कोई संदेह नहीं ...
अच्छी कविता है !!
लेकिन मेरी कल्पनाओ को
करता है वही साकार .
वही भीतर होता है । बहुत अच्छी रचना ।
कर बिनु करम करइ विधि नाना
आनन रहित सकल रस भोगी
बिनु वानी वक्ता बड जोगी
काश. प्रेम भाईचारे को लोग अपनाते.
- विजय
जिसका कोई अक्स नहीं वही करता है सपना साकार