उम्मीद



आइने में सभी सूरते

एक सी नज़र आती है

किसे कहे यहाँ अपना

यही ख्याल लिए रह जाती है ,

तभी वो चेहरा दिखता है

जिसका कोई अक्स भी नही ,

है वो निराकार ,

लेकिन मेरी कल्पनाओ को

करता है वही साकार .

टिप्पणियाँ

इस्मत ज़ैदी ने कहा…
है वो निराकार ,
लेकिन मेरी कल्पनाओ को
करता है वही साकार .

क्या बात है ,,,वाह !!!!
जिसका कोई अक्स नहीं वही करता है सपना साकार ... बहुत बढ़िया
जिसका कोई अक्स नहीं वही करता है सपना साकार ... बहुत बढ़िया
है वो निराकार ,
लेकिन मेरी कल्पनाओ को
करता है वही साकार .
बहुत खूब.
निराकार ही सब साकार कर रहा है तब तो वह महाकार हुआ।
बहुत सुंदर काव्य रचना ..... बेहतरीन भावाभिव्यक्ति
Rakesh Kumar ने कहा…
निराकार का आपने चेहरा देख लिया,यह तो कमाल किया आपने.
फिर क्यूँ न निराकार भी आपकी कल्पनाओं को साकार करे.

आपकी 'उम्मीद' अदभुत है,अति सुन्दर है.
vandana gupta ने कहा…
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (16-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/
सुन्दर अभिव्यक्ति
Deepak Saini ने कहा…
बहुत सुंदर काव्य रचना ..... बेहतरीन भावाभिव्यक्ति
Apanatva ने कहा…
bahut sunder abhivykti .
निराकार से साकार तक पहुचना. सुंदर विचार, सच ही है सारे संसार की डोर तो निराकार हांथों में ही है.
ashish ने कहा…
काश ये सन्देश हम आत्मसात कर पाते की निराकार को भी देखा जा सकता है केवल सच्चा मन होना चहिये . आभार इस कविता के लिए .
राज भाटिय़ा ने कहा…
वाह जी क्या सुंदर ओर गहरी बात कही आप ने, बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना, धन्य्वाद
daanish ने कहा…
निराकार ही साकार है
इसमें कोई संदेह नहीं ...
अच्छी कविता है !!
Kunwar Kusumesh ने कहा…
जिसका कोई अक्स नहीं वही करता है सपना साकार............. जी ,इसीलिए तो कहते हैं-सब का मालिक एक है.
है वो निराकार ,
लेकिन मेरी कल्पनाओ को
करता है वही साकार .

वही भीतर होता है । बहुत अच्छी रचना ।
खुद इंसान अपने अंदर के निर्विकार इंसान का ही साथी होता है ... सुंदर रचना ..
Urmi ने कहा…
बहुत सुन्दर, भावपूर्ण और शानदार रचना लिखा है आपने ! बधाई!
BrijmohanShrivastava ने कहा…
बिनु पग चलइ सुनहि बिनु काना
कर बिनु करम करइ विधि नाना
आनन रहित सकल रस भोगी
बिनु वानी वक्ता बड जोगी
Satish Saxena ने कहा…
बहुत सुन्दर ! शुभकामनायें आपको !
36solutions ने कहा…
निराकार का आईना मेरा मन. धन्‍यवाद.
नन्ही सी कविता में छायावाद का दर्शन करा दिया आपने.बधाई.ब्लॉग गुरतुर गोठ में पधार कर आपने मेरी रचना पढ़ी,सराहा,इस हेतु धन्यवाद.कभी हमारे पारिवारिक ब्लोग्स में जरूर आईयेगा.
किसे कहें यहाँ अपना ? ये प्रश्न बेहद अहम है.
काश. प्रेम भाईचारे को लोग अपनाते.
- विजय
सुंदर काव्य रचना ..... बेहतरीन भावाभिव्यक्ति
नीलांश ने कहा…
bahut sunder
जिसका कोई अक्स नहीं वही करता है सपना साकार

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