
चलना शुरू किया तो
सफ़र कही थमा नही ,
कहाँ तक जाते है रास्ते
गुमां ये कभी हुआ नही .
तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही .
.................................................
दोस्तों मैं लगभग दो महीने बाद अपने ब्लॉग पर आई हूँ ,यहाँ आकर देखी तो काफी रचनाये सबकी डल चुकी है ,मैं अपनी व्यस्तता की वजह से उन्हें बराबर नही पढ़ पाई जिसके लिए मन में अफ़सोस है ,मगर ये सिलसिला कल से फिर शुरू करने जा रही ,बारी -बारी सबके ब्लॉग पर आ रही हूँ ,मुझे भी कहाँ चैन है बिना पढ़े ,कब से राह तलाश रही थी ,मगर वक़्त हाथ ही नही लग रहा था ,आज तो जिद्द में जीत हासिल की और इन्तजार भी खत्म किया ,बस कुछ ही लम्हों की दूरी पर हूँ ,अब तक की रुकावट के लिए माफ़ी चाहती हूँ ,आप सभी बंधुओ से ,.मेरे पीछे भी आप मेरे ब्लॉग से जुड़े रहें इस स्नेह के लिए दिल से आभारी हूँ .धन्यबाद .
30 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर लिख दिया है आपने
तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही ..................................
आपके दूसरे ब्लॉग पर हो आया हूँ.आपने सही रास्ता अपनाया हुआ है.उसी पर चलती रहें.
उम्मीद करता हूँ आपका कृपा प्रसाद अब जल्दी ही मुझे भी मिलेगा.
राह पकड़ बस चलना है,
लक्ष्य कभी तो मिलना है।
रास्ते नहीं बदलेंगे,
बस एक ही रास्ते पर चलेंगे।
रास्ते नहीं बदलेंगे,
बस एक ही रास्ते पर चलेंगे।
कविता अच्छी लगी..
और tumhen blog se duur दो महीने हो गए !!!!..कोई बात नहीं ब्रेक भी लेना ज़रुरी होता है.
बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ! बहुत सुन्दर कविता लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
सुन्दर अभिव्यक्ति...सुन्दर भाव....
बहुत अच्छा है आपका ब्लॉग और आपकी कविताएं।
सादर
ज्योति सिंह जी अभिवादन -प्यारे मूल भाव , सुन्दर सन्देश ,
बिना गुमां हुए -बिना पथ बदले हुए -एक सुहाने प्यारे अच्छे राह पर हम बढ़ते रहें तो बात ही निराली
धन्यवाद आप का
शुक्ल भ्रमर
भ्रमर का झरोखा दर्द-ए-दिल
सुन्दर अभिव्यक्ति.स्वागत है ब्रेक के बाद ....
स्वागत है पुनः पुनः स्वागत है !
आपकी अनुपस्थिति खल रही थी …
सब कुशल मंगल तो है न ? …घर-परिवार में सभी स्वस्थ-सानन्द होंगे !
बहुत बहुत मंगलकामनाएं हैं …
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आदरणीया ज्योति सिंह जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
…तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
…क्योंकि आकर यहां तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही
वाह ! समर्पण की सहज सुंदर सौम्य भावना ही तो जीवन को आनन्द से भर देती है …
बहुत ख़ूब !
अच्छी रचना के लिए आभार !
बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
bahot sunder......
sundar
इतनी दूरी तक चल के रास्ते बदलना ठीक भी नहीं होता ... अच्छी रचना है ...
चलना शुरू किया तो सफ़र कही थमा नही ,
सफ़र कहीं थमे भी नहीं...यही हार्दिक शुभकामनाएं हैं.
aapka lout aana sukhad anubhuti hai.
mai bhee ine dino jyada samay nahee de paa rahee hoo blog ko..
sunder abhivykti.
आदरणीय ज्योति सिंह जी
नमस्कार !
......बहुत उम्दा लिख दिया है आपने
दिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद खूबसूरत रचना ...
suswagatam.......welcome back!!
ham saath saath hain:D
apani mati ki khushbu se khinchkar chale aanaa sukhad laga.
तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही
ज्योती जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम""सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
बहुत बढ़िया ...प्रभावित करती रचना
तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही
बहुत सुन्दर रचना है ज्योति. इसी तरह लिखती रहो. बधाई.
ab yaha tak aakar raste badaliyega nahi..
aati rahiye.
sunder prastuti.
:)
bhaut hi sunder...
Welcome
सुन्दर।
आशा है अब निरंतरता बनी रहेगी।
PRERAK RACHNA LIKHI HAI MAM...
AAP KO PADHKAR ACHA LAGA , AAJ SE HI FOLLOW KAR RAHA HUN...
JAI HIND JAI BHARAT
कहाँ तक जाते है रास्ते
गुमां ये कभी हुआ नही .
अच्छी लगी ये बातें और सोच
बधाई
bahut khub
pahli baar aana huya aapke yahan
accha laga....sarthak lekhni....aabhar
ज्योति जी आप भी क्षणिकाएं लिखने लगीं अच्छी बात है .....
अपनी 10, 12 बेहतरीन क्षणिकाएं भेज दीजिये संक्षिप्त परिचय और तस्वीर के साथ .....
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