रास्ते
चलना शुरू किया तो
सफ़र कही थमा नही ,
कहाँ तक जाते है रास्ते
गुमां ये कभी हुआ नही .
तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही .
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दोस्तों मैं लगभग दो महीने बाद अपने ब्लॉग पर आई हूँ ,यहाँ आकर देखी तो काफी रचनाये सबकी डल चुकी है ,मैं अपनी व्यस्तता की वजह से उन्हें बराबर नही पढ़ पाई जिसके लिए मन में अफ़सोस है ,मगर ये सिलसिला कल से फिर शुरू करने जा रही ,बारी -बारी सबके ब्लॉग पर आ रही हूँ ,मुझे भी कहाँ चैन है बिना पढ़े ,कब से राह तलाश रही थी ,मगर वक़्त हाथ ही नही लग रहा था ,आज तो जिद्द में जीत हासिल की और इन्तजार भी खत्म किया ,बस कुछ ही लम्हों की दूरी पर हूँ ,अब तक की रुकावट के लिए माफ़ी चाहती हूँ ,आप सभी बंधुओ से ,.मेरे पीछे भी आप मेरे ब्लॉग से जुड़े रहें इस स्नेह के लिए दिल से आभारी हूँ .धन्यबाद .
टिप्पणियाँ
तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही ..................................
आपके दूसरे ब्लॉग पर हो आया हूँ.आपने सही रास्ता अपनाया हुआ है.उसी पर चलती रहें.
उम्मीद करता हूँ आपका कृपा प्रसाद अब जल्दी ही मुझे भी मिलेगा.
लक्ष्य कभी तो मिलना है।
बस एक ही रास्ते पर चलेंगे।
बस एक ही रास्ते पर चलेंगे।
और tumhen blog se duur दो महीने हो गए !!!!..कोई बात नहीं ब्रेक भी लेना ज़रुरी होता है.
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
सादर
बिना गुमां हुए -बिना पथ बदले हुए -एक सुहाने प्यारे अच्छे राह पर हम बढ़ते रहें तो बात ही निराली
धन्यवाद आप का
शुक्ल भ्रमर
भ्रमर का झरोखा दर्द-ए-दिल
आपकी अनुपस्थिति खल रही थी …
सब कुशल मंगल तो है न ? …घर-परिवार में सभी स्वस्थ-सानन्द होंगे !
बहुत बहुत मंगलकामनाएं हैं …
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आदरणीया ज्योति सिंह जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
…तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
…क्योंकि आकर यहां तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही
वाह ! समर्पण की सहज सुंदर सौम्य भावना ही तो जीवन को आनन्द से भर देती है …
बहुत ख़ूब !
अच्छी रचना के लिए आभार !
बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
सफ़र कहीं थमे भी नहीं...यही हार्दिक शुभकामनाएं हैं.
mai bhee ine dino jyada samay nahee de paa rahee hoo blog ko..
sunder abhivykti.
नमस्कार !
......बहुत उम्दा लिख दिया है आपने
दिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद खूबसूरत रचना ...
ham saath saath hain:D
तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम""सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही
बहुत सुन्दर रचना है ज्योति. इसी तरह लिखती रहो. बधाई.
aati rahiye.
sunder prastuti.
:)
आशा है अब निरंतरता बनी रहेगी।
AAP KO PADHKAR ACHA LAGA , AAJ SE HI FOLLOW KAR RAHA HUN...
JAI HIND JAI BHARAT
गुमां ये कभी हुआ नही .
अच्छी लगी ये बातें और सोच
बधाई
pahli baar aana huya aapke yahan
accha laga....sarthak lekhni....aabhar
अपनी 10, 12 बेहतरीन क्षणिकाएं भेज दीजिये संक्षिप्त परिचय और तस्वीर के साथ .....