बुधवार, 20 जुलाई 2011

रास्ते


चलना शुरू किया तो
सफ़र कही थमा नही ,

कहाँ तक जाते है रास्ते

गुमां ये कभी हुआ नही .

तुम मत कहना भूले से

किसी और राह चलने को ,

क्योंकि आकर यहाँ तक हमें

अब रास्ते अपने बदलना नही .
.................................................
दोस्तों मैं लगभग दो महीने बाद अपने ब्लॉग पर आई हूँ ,यहाँ आकर देखी तो काफी रचनाये सबकी डल चुकी है ,मैं अपनी व्यस्तता की वजह से उन्हें बराबर नही पढ़ पाई जिसके लिए मन में अफ़सोस है ,मगर ये सिलसिला कल से फिर शुरू करने जा रही ,बारी -बारी सबके ब्लॉग पर आ रही हूँ ,मुझे भी कहाँ चैन है बिना पढ़े ,कब से राह तलाश रही थी ,मगर वक़्त हाथ ही नही लग रहा था ,आज तो जिद्द में जीत हासिल की और इन्तजार भी खत्म किया ,बस कुछ ही लम्हों की दूरी पर हूँ ,अब तक की रुकावट के लिए माफ़ी चाहती हूँ ,आप सभी बंधुओ से ,.मेरे पीछे भी आप मेरे ब्लॉग से जुड़े रहें इस स्नेह के लिए दिल से आभारी हूँ .धन्यबाद .




30 टिप्‍पणियां:

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत सुन्दर लिख दिया है आपने

तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही ..................................

आपके दूसरे ब्लॉग पर हो आया हूँ.आपने सही रास्ता अपनाया हुआ है.उसी पर चलती रहें.

उम्मीद करता हूँ आपका कृपा प्रसाद अब जल्दी ही मुझे भी मिलेगा.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

राह पकड़ बस चलना है,
लक्ष्य कभी तो मिलना है।

मनोज कुमार ने कहा…

रास्ते नहीं बदलेंगे,
बस एक ही रास्ते पर चलेंगे।

मनोज कुमार ने कहा…

रास्ते नहीं बदलेंगे,
बस एक ही रास्ते पर चलेंगे।

Alpana Verma ने कहा…

कविता अच्छी लगी..
और tumhen blog se duur दो महीने हो गए !!!!..कोई बात नहीं ब्रेक भी लेना ज़रुरी होता है.

Urmi ने कहा…

बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ! बहुत सुन्दर कविता लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति...सुन्दर भाव....

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत अच्छा है आपका ब्लॉग और आपकी कविताएं।

सादर

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

ज्योति सिंह जी अभिवादन -प्यारे मूल भाव , सुन्दर सन्देश ,
बिना गुमां हुए -बिना पथ बदले हुए -एक सुहाने प्यारे अच्छे राह पर हम बढ़ते रहें तो बात ही निराली
धन्यवाद आप का
शुक्ल भ्रमर
भ्रमर का झरोखा दर्द-ए-दिल

Sunil Kumar ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति.स्वागत है ब्रेक के बाद ....

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

स्वागत है पुनः पुनः स्वागत है !
आपकी अनुपस्थिति खल रही थी …

सब कुशल मंगल तो है न ? …घर-परिवार में सभी स्वस्थ-सानन्द होंगे !
बहुत बहुत मंगलकामनाएं हैं …

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*

आदरणीया ज्योति सिंह जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

…तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
…क्योंकि आकर यहां तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही


वाह ! समर्पण की सहज सुंदर सौम्य भावना ही तो जीवन को आनन्द से भर देती है …
बहुत ख़ूब !

अच्छी रचना के लिए आभार !
बधाई और शुभकामनाएं !

-राजेन्द्र स्वर्णकार

mridula pradhan ने कहा…

bahot sunder......

Akhilesh pal blog ने कहा…

sundar

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इतनी दूरी तक चल के रास्ते बदलना ठीक भी नहीं होता ... अच्छी रचना है ...

Dr Varsha Singh ने कहा…

चलना शुरू किया तो सफ़र कही थमा नही ,


सफ़र कहीं थमे भी नहीं...यही हार्दिक शुभकामनाएं हैं.

Apanatva ने कहा…

aapka lout aana sukhad anubhuti hai.
mai bhee ine dino jyada samay nahee de paa rahee hoo blog ko..

sunder abhivykti.

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय ज्योति सिंह जी
नमस्कार !
......बहुत उम्दा लिख दिया है आपने
दिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद खूबसूरत रचना ...

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

suswagatam.......welcome back!!
ham saath saath hain:D

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) ने कहा…

apani mati ki khushbu se khinchkar chale aanaa sukhad laga.
तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही

tips hindi me ने कहा…

ज्योती जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम""सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत बढ़िया ...प्रभावित करती रचना

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

तुम मत कहना भूले से
किसी और राह चलने को ,
क्योंकि आकर यहाँ तक हमें
अब रास्ते अपने बदलना नही
बहुत सुन्दर रचना है ज्योति. इसी तरह लिखती रहो. बधाई.

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ab yaha tak aakar raste badaliyega nahi..

aati rahiye.

sunder prastuti.

:)

सागर ने कहा…

bhaut hi sunder...

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

Welcome

हरीश प्रकाश गुप्त ने कहा…

सुन्दर।

आशा है अब निरंतरता बनी रहेगी।

SAJAN.AAWARA ने कहा…

PRERAK RACHNA LIKHI HAI MAM...

AAP KO PADHKAR ACHA LAGA , AAJ SE HI FOLLOW KAR RAHA HUN...
JAI HIND JAI BHARAT

रचना दीक्षित ने कहा…

कहाँ तक जाते है रास्ते
गुमां ये कभी हुआ नही .
अच्छी लगी ये बातें और सोच
बधाई

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

bahut khub

pahli baar aana huya aapke yahan
accha laga....sarthak lekhni....aabhar

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

ज्योति जी आप भी क्षणिकाएं लिखने लगीं अच्छी बात है .....


अपनी 10, 12 बेहतरीन क्षणिकाएं भेज दीजिये संक्षिप्त परिचय और तस्वीर के साथ .....