रविवार, 14 अगस्त 2011

वन्दे मातरम्

आज़ादी क्या है ?
इसकी सच्ची परिभाषा क्या है ,इसे साबित कैसे करे ?ऐसे ढेरो प्रश्न इस जश्न के सामने आते -आते जहन में उठने लगते है जिनके जवाब और मायने हम बहुत हद तक जानते है और समझते भी है ,क्योंकि बचपन से ही हमें इस बिषय पर काफी समझाया और पढाया जाता है ,कूट -कूट कर देश प्रेम की भावनाये मन में भरी जाती है ,उसके प्रति क्या जिम्मेदारिया है हमारी ,इस बात का अहसास कराया जाता हैपर जैसे जैसे बड़े होते जाते है इसे अपनी जिम्मेदारियों में ,शान -शौकत के रंग ढंग में नज़र अंदाज कर देते है ,और मौके मिलने पर स्कूली ज्ञान को ही बयां करके अपने को सच्चे देश भक्त के रूप में सामने लाते हैलेकिन हर बात कह देने और बयां कर देने से ही सम्पूर्ण नही हो जाती वो मुक्कमल हो इसके लिए कर्म का योगदान बेहद जरूरी है ,तभी उसे उचित तरीके से परिभाषित किया जा सकता है और सम्मानित भी
इसके लिए अपने राष्ट्र की अमूल्य धरोहर को जिससे हमारी पहचान कायम है उसे सुरक्षित और जिन्दा रखना जरूरी है ,दूसरो के घुडदौड़ में भागना समझदारी नही है इससे खुद की पहचान लुप्त हो जायेगी ,ऐसा हो इसलिए हम अपनी समझ -पहचान कायम रक्खे तथा राष्ट्र की गरिमा को बनाये रक्खे
उदाहरण के लिए ----भाषा ,संस्कृति ,पहनावा ,एकता ,धैर्य ,लज्जा ,साहस ,खानपान आदि ऐसी बहुत सी अमूल्य बाते और चीज़े है जो हमारी अपनी पहचान है ,हमारी राष्ट्रयिता को दर्शाती है ,पर हम इन्हें ओल्ड फैशन कहकर या आधुनिकता के पक्ष में खड़े होकर नकार देते है
क्या वाकई आधुनिकता इसी में है या सोच में विचारो में ?
समझ के फर्क को समझना और सहेजना सबके वश की बात नही और यही मतभेद उत्पन्न करते है आपस में ,फिर इस स्थिति में एकता -मानवता देखने को कम सुनने को ज्यादा मिलती है
आदर करने से आदर पायेंगे ,देश की धरोहर को सलामत रखेंगे तभी अपनी खास पहचान बनायेंगे
हर बात कहकर सुनकर ही पूरी हो जाये तो कर्म की प्रधानता कहाँ रह जायेगी ,इसलिए कर्म का योगदान अति आवयश्क है उन्नति सलामती के लिए ,और इसके लिए देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझे क्योंकि यह अपनी बहुत ही बड़ी जिम्मेदारी हैहमें अपनी किसी बात पर शर्म महसूस नही होनी चाहिए बल्कि अमल कर और आगे बढ़ाये
जैसे राष्ट्र भाषा हिंदी -जो पूरे हिन्दुस्तान को जोडती है ,उसकी तुलना किसी और से करना जायज नही ,उसका अपना स्थान और सम्मान है ,वो तुलनिये नही उसका स्तर उच्च कोटि का है ,वैसे भी भाषा तो भाषा है ,अंग्रेजी और हिंदी में फर्क क्या है ,वो भी भाषा है ये भी ,रूपांतरण से भाव तो नही बदल जायेंगे . उसी तरह कई बाते भिन्न होते हुए भी शायद एक जैसी ही है ,लेकिन नाम और जगह से प्रभावित हो कर हम इस बात पर नही सोचते और उनके अधीन हो जाते है ,इससे हमारी स्वतंत्रता छीन जाती है और हम अपनी पहचान खो देते हैऐसा हो इसके लिए अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करे ,उसे अपनाये . जहाँ जाये अपने विचारो से उसे सर्वोच्च स्थान प्रदान करे ,और गर्व से कहे हम भारतीय है और हम उस मिटटी में जन्मे है जहाँ अनेकता में एकता हैएवं उसी को आधुनिक रूप -रंग में ढाले इससे देश का सम्मान भी बढेगा और अपनी खास पहचान सामने होगी
सारे जहाँ से अच्छा है हिन्दोस्तान हमारा ....जय हिंद

हमारा भारत तो विभिन्न रंगों से भरा है
इसके किसी भी रंगों को घटने दे ,
हमारा भारत बलिदानों का इतिहास है
उसके किसी भी पन्ने को मिटने दे ,
हमारा भारत पूरे विश्वमें अनोखा है
उसकी इस छवि को धुंधली पड़ने दे ,
हमारा भारत मीठी -मीठी बोलियों से भरा है
उसकी इस मिठास को कोई और स्वाद दे ,
हमारा भारत सभी धर्मो का सम्मान करता है
उसकी इस एकता को कभी टूटने दे ,
हमारा भारत अब और हिस्सों में बटे
इसके लिए कोई नाजायज मांग करे ,
हमारा भारत तो सिर्फ भारत है
इसे कोई और नाम-पहचान दे
............................................................................
जननी जन्मभूमि महान
शत -शत तुम्हे प्रणाम ,
तुम्ही हो मेरा गौरव
तुमसे ही है अभिमान
जय भारत जय भारती

23 टिप्‍पणियां:

Smart Indian ने कहा…

पहचान और स्वतंत्रता अलग-अलग बातें हैं। स्वतंत्रता मानवमात्र का मूलभूत अधिकार है भले ही हमारी सांस्कृतिक या भाषायी पहचान कुछ भी हो।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर पोस्ट....सारे जहाँ से अच्छा है हिन्दोस्तान हमारा ....जय हिंद

बेनामी ने कहा…

aazadi ke mayne sabhi ne apane hisab se badal liye hain

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
HAPPY INDEPENDENCE DAY!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

sahi awaaz----- vande matram

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

बहुत बढ़िया और सार्थक पोस्ट
बचपन याद दिला दिया आप ने
बधाई हो इस पोस्ट के लिये भी और स्वतंत्रता दिवस की भी

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करे ,उसे अपनाये . जहाँ जाये अपने विचारो से उसे सर्वोच्च स्थान प्रदान करे ,और गर्व से कहे हम भारतीय है और हम उस मिटटी में जन्मे है जहाँ अनेकता में एकता है । एवं उसी को आधुनिक रूप -रंग में ढाले इससे देश का सम्मान भी बढेगा और अपनी खास पहचान सामने होगी...
ज्योति जी, अपने आलेख और रचना से बहुत बड़ा पैग़ाम दिया है आपने...बधाई
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

रचना दीक्षित ने कहा…

सार्थक पोस्ट.

स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

स्वतंत्रता दिवस की शुभकानाएं


इस सार्थक एवं संग्रहनीय रचना के लिए बधाई स्वीकारें

नीरज

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अपने बनाये वातावरण में प्रसन्नता से रहना आजादी है।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

स्वातंत्र्य-पर्व मुबारक हो. अच्छी पोस्ट.

Apanatva ने कहा…

Jai hind.!
sarthak post .

Dorothy ने कहा…

सार्थक और सशक्त प्रस्तुति. आभार. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
सादर,
डोरोथी.

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर पोस्ट
स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

ashish ने कहा…

आज़ादी की खुशनुमा पलों को जीती सुँदर पोस्ट . आज़ादी की ६५ वी सालगिरह मुबारक हो .

सागर ने कहा…

sahi kaha aapne... jai hind...

Kunwar Kusumesh ने कहा…

स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और ढेर सारी बधाईयां.

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत सुन्दर देश भक्ति से पूर्ण भावों से ओतप्रोत पोस्ट को पढकर आपको स्वत:नमन करने का दिल करता है.आपके पावन जज्बे को नमन.सद् ज्ञान से ही आजादी मिल सकती है.

आप मेरे ब्लॉग पर आयीं इसके लिए बहुत बहुत आभार.मेरी भी आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Dr Varsha Singh ने कहा…

जीवन्त विचारों का बहुत सार्थक आलेख और रचना!

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

प्रेरणा दायक लेख...सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

जय भारत जय भारती .........

umesh ने कहा…

बढिया निबंध. बचपन की याद आ गई.

Maheshwari kaneri ने कहा…

सुन्दर संवेदनशील, प्रेरणा दायक लेख..