" मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना " इकबाल जी की ये पंक्तियाँ मेरे जहन में इस तरह बस कर गुनगुनाती है जैसे कोई गहरा रिश्ता हो इन भावो से ,जिस वक़्त इकबाल जी के विचारो में दौड़ी उस वक़्त हालात संप्रदायिक दंगो और माहौल आज़ादी का जुड़ा हुआ रहा । मगर आज ये पंक्तियाँ मेरे लहू में एकता -समानता ,संवेदना व सद्भावना जैसे अहसासों को लेकर दौड़ रही है । जब से मैं होश संभाली और कितने ही किस्से कहानी पढ़े ,मगर कभी किसी ग्रन्थ में जाति और धर्म को दिलो के ज़ज्बातों से जुदा नहीं पाया ,मन की भाषा इन सभी बेतुकी बातों से ऊपर है ,जो व्यक्ति को जोड़ते वक़्त ये गणित नहीं लगाती कि जोड़ है घटाव, और नहीं व्यापारिक बुद्धि दौड़ाती कि फायदा होगा या नुक्सान । सभी धर्मो में मानवता एवं आदर्श की बाते ही लिखी गयी है ,जो इंसान को जाति - पाति, भेदभाव ,उंच -नीच से अलग रखती है ,इंसानियत की परिभाषा धर्मानुसार नहीं होती । इंसानों को तो हमने ही इतने वर्गों में विभाजित किया ,वर्ना हम सभी तो मनु की ही संतान है । हिन्दू बांटे ,मुस्लिम बांटे बाट दिए भगवान को , मत बांटो इंसान को भई मत बांटो इंसान को । यही बात हमें सभी धर्म -...
टिप्पणियाँ
सादर
waah !!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
acchee likhi hai kavita.
आपने अच्छी भूल भुलैया प्रस्तुत की है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
आशा
atisundar...
अच्छी रचना.
साधुवाद!
आशीष
--
मैंगो शेक!!!
बहुत अच्छी रचना...
सादर...
आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
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बहुत दिनों के बाद आपके पोस्ट पर आया हूँ । सच कहा है आपने कि जीवन में कभी ऐसे मोड़ पर हम पहुँच जाते हैं जहां परिस्थितियां विवश सी कर देती हैं एवं हमें समानांतर रेखा के रूप में अपनी पहचान बना लेने के लिए बाध्य कर जाती हैं । धन्यवाद ।
dr.bhoopendra singh
mp
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
दीपावली और गोवर्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जल्दी दर्शन दीजियेगा जी.
परन्तु आज आपको प्रवीण जी के ब्लॉग पर देखकर बहुत खुशी मिली मुझे.
आशा है आप स्वस्थ और कुशल मंगल से होंगीं.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
sundar prastuti.
new post...वाह रे मंहगाई...