हम -तुम -------
एक ही रास्ते के

दो मोड़ है ,

जो पलट कर

उसी राह ले आते है

जहां आरम्भ और अंत

एक हो जाते है ,

फिर सोचने की कही

कोई गुंजाइश नही

रह जाती ,

फैसले की कोई सुनवाई

हो ही नही पाती l

टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
बहुत ही बढ़िया।

सादर
Prem ki raah mein Prem karne waale EK hi raaste ke do mod hote hain.... Sundar rachna hai....
vandana gupta ने कहा…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
kshama ने कहा…
Nihayat sundar rachana!
Kunwar Kusumesh ने कहा…
इसीलिए तो कहते हैं की ये दुनिया गोल है.
समरसता का रंग अजब ही है।
Urmi ने कहा…
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
Alpana Verma ने कहा…
sirshk heen kyun?

acchee likhi hai kavita.
Rakesh Kumar ने कहा…
क्या बात है ज्योति जी,
आपने अच्छी भूल भुलैया प्रस्तुत की है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
Maheshwari kaneri ने कहा…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
वहीं से शुरु , वहीं पे खतम , वाह क्या बात है !!
अच्छे भाव, अच्छी पंक्तियां।
सदा ने कहा…
बहुत ही बढि़या ।
Asha Lata Saxena ने कहा…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति |बधाई
आशा
POOJA... ने कहा…
saargarbhit kavita...
atisundar...
हम तुम....
अच्छी रचना.
साधुवाद!
आशीष
--
मैंगो शेक!!!
thode me hi sab kuchh samjha diya. wah ji apko to judge hona chahiye tha.
S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…
क्या बात है...
बहुत अच्छी रचना...
सादर...
प्रेम सरोवर ने कहा…
बहुत ही अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका निमंत्रण है । धन्यवाद ।
Neelkamal Vaishnaw ने कहा…
Jyoti jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
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प्रेम सरोवर ने कहा…
ज्योति जी ,
बहुत दिनों के बाद आपके पोस्ट पर आया हूँ । सच कहा है आपने कि जीवन में कभी ऐसे मोड़ पर हम पहुँच जाते हैं जहां परिस्थितियां विवश सी कर देती हैं एवं हमें समानांतर रेखा के रूप में अपनी पहचान बना लेने के लिए बाध्य कर जाती हैं । धन्यवाद ।
Rakesh Kumar ने कहा…
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,ज्योति जी.
bahut sunder anubhootiya ,aapko hardik dhanyavad.sader,
dr.bhoopendra singh
mp




आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

-राजेन्द्र स्वर्णकार
Rakesh Kumar ने कहा…
ज्योति जी, आपको बहुत मिस कर रहे हैं हम.

दीपावली और गोवर्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ.

जल्दी दर्शन दीजियेगा जी.
Rakesh Kumar ने कहा…
आपका बहुत दिनों से कोई समाचार नही मिला है.
परन्तु आज आपको प्रवीण जी के ब्लॉग पर देखकर बहुत खुशी मिली मुझे.

आशा है आप स्वस्थ और कुशल मंगल से होंगीं.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
amrendra "amar" ने कहा…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
bahut dino baad aapka agman dekh man prasann ho gaya. sunder abhivyakti.
Jeevan Pushp ने कहा…
behad satik kahi hain aapne.
sundar prastuti.
बहुत सार्थक प्रस्तुति, सुंदर रचना,बेहतरीन पोस्ट....
new post...वाह रे मंहगाई...
Saras ने कहा…
वाह ज्योतिजी

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