ममतामयी माँ
सबकी माँ
जन्म से लेकर
अंतिम श्वास तक
जरूरत सबकी माँ
जीवन की हर
छोटी -छोटी बातों में
याद बहुत आती माँ
निश्छल ममता ,दया
करूणा की सूरत तुम माँ
निस्वार्थ सर्वस्व लुटाने वाली
त्याग की मूर्ती तुम माँ
मीठी लोरी से पलकों में
सुन्दर स्वप्न सजाती माँ
सहलाकर नर्म हाथो से
प्रेम का स्पर्श कराती माँ
तुम्हारे आँचल की छांव मे
सुख का जहां है माँ
सृष्टि की कल्पना ,है अधूरी
जो तुम नही हो माँ
अपनी फिक्र छोड़कर
सबकी फिक्र करने वाली माँ
बालो को कंघी से
सुलझाने वाली माँ
बड़े प्यार से निवाले को
मुंह में भरती माँ
उसके हाथों सा स्वाद
मिलेगा हमें कहाँ ,
बच्चो के हर सुख -दुख को
भांपने वाली माँ
कहे बिना ही मन के हर
भाव को पढ़ लेती माँ
सबकी चिन्ताओ को अपने
हृदय में समेटे माँ
जीवन के हर मोड़ पर
साथ निभाती माँ
जन्नत उसके चरणों में
है यहाँ बसा हुआ
ईश्वर का ही रूप है
दुनिया की हर माँ
हाथ जोड़कर ,शीश झुकाकर
हम करते नमन तुम्हें माँ ।
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15 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 10 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
धन्यवाद यशोदा जी
माँ
यही सम्पूर्ण है।
माँ अपने आप मे।सम्पूर्ण सृष्टी 🙏
माँ तो माँ है ... जीवन को जेते जी और फिर यादों में संवारती ही रहती है हमेशा ...
सही कहा आप सभी ने ,माँ की तरह कोई नहीं हो सकता है ,आप सभी का आभार प्रकट करते हुए आप सभी को धन्यवाद
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11 -5 -2020 ) को " ईश्वर का साक्षात रूप है माँ " (चर्चा अंक-3699) पर भी होगी, आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
सुन्दर
क्षमा चाहती हूँ आमंत्रण में मैंने दिनांक गलत लिख दिया हैं ,आज 12 -5 -2020 की प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत हैं। असुविधा के लिए खेद हैं।
बहुत बहुत शुक्रियां ,हृदय से आभारी हूँ नमस्कार
सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद अनिता जी
माँ की तरह कोई नहीं हो सकता है
हम सभी का यही मानना है ,इसलिए माता पिता का ध्यान रखना जरूरी है ।यही पहला कर्तव्य है हमारा ।धन्यवाद संजय
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