शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

उम्मीद.......

जिस उम्मीद के साथ हम

कुछ कहने को जाते है 

उस उम्मीद के साथ हम

लौट कर नही आते हैं  , 

तभी तो उन लोगों से हम

कुछ नहीं कह पाते है 

बात समझने की जगह जो

बात को  बढ़ा जाते है । 


10 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

यही जोटा ज़िन्दगी में ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

होता पढ़ें जोटा की जगह

ज्योति सिंह ने कहा…

वाह संगीता जी, आपको यहाँ पर देख कर बहुत ही खुशी हुई, हृदय से आभारी हूँ आपकी, आपके ब्लॉग पर जाती हूँ मगर कंमेंट बॉक्स नही खुलता है, कुछ लिख नही पाती इस कारण से । नमस्कार

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर रचना।

ज्योति सिंह ने कहा…

हार्दिक आभार ज्योति जी, बहुत बहुत धन्यबाद आपका हौसला बढ़ाने के लिए।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२०-०२-२०२१) को 'भोर ने उतारी कुहासे की शाल'(चर्चा अंक- ३९८३) पर भी होगी।

आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी

Kamini Sinha ने कहा…


बिलकुल सत्य कहा आपने,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन आपको

Amrita Tanmay ने कहा…

अपनों से भी ऐसा ही संवाद होता है जो सोचने पर विवश करता है कि आखिर गलत क्या हुआ । अति सुन्दर कथ्य ।

मन की वीणा ने कहा…

बिल्कुल सही कहां होता है मन चाहा संवाद या फिर कौन सुन कर भी सही तथ्य समझे।
सुंदर सत्य।

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई.