उम्मीद
समझौता भी आता है,
सम्हलना भी आता है।
ज़िन्दगी को जीने का
हल निकल आता है।
********************
गम को खुशहाल बना रही हूँ,
जख्मों को भरती जा रही हूँ।
चंद ख्वाहिशे अब भी है मेरे साथ ,
उनके लिए रास्ते तलाश रही हूँ.
समझौता भी आता है,
सम्हलना भी आता है।
ज़िन्दगी को जीने का
हल निकल आता है।
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गम को खुशहाल बना रही हूँ,
जख्मों को भरती जा रही हूँ।
चंद ख्वाहिशे अब भी है मेरे साथ ,
उनके लिए रास्ते तलाश रही हूँ.
टिप्पणियाँ
Dr.Bhoopendra
http://www.ashokvichar.blogspot.com
Nanvit Nirav
ख्वाहिशों को खूबसूरत शक्ल देने के लिए।
ख्वाहिशों की कैद से आजाद होना चाहिए।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
स्वागत है आपका ब्लॉग जगत में