याद जो इस अवसर पे अतीत से गुजर गई
'शाम से आँख में नमी सी है ,
आज फिर आप की कमी सी है '
तुम जहाँ भी हो हर वर्ष की तरह इस बार भी तुम्हारे साल गिरह की बधाई देने बैठी हूँ ,फर्क इतना है कि इस बार तुम्हे अपने ब्लॉग के जरिये मुबारकबाद दे रही हूँ ,अवसर तो खुशी का है मगर जुदाई के गम साथ लिए यादो की बौछारों से पलके भीग गई ,करोगे याद तो हर बात याद आएगी गुजरते वक्त की हर मौज ठहर जायेगी ,इस गुजरते वक्त में वो भी गुजर गया जहाँ हम सभी साथ थे ,और इस वक्त के झोखे में बिखर कर दुनिया की भीड़ में भटक गए ,पर उन यादो का क्या जो अभी तक जंजीर में जकड़ी है बस यही ठहर कर रह जाती है ,दूर नही होती ,उन्ही यादो को संजोये ये सफर चलता रहता है ,ऐसे ही कुछ अवसरों पे जब अतीत गहराई पकड़ने लगती है तभी कलम के सहारे उन बिछडे पलों का सफर तय होता है ,हर अहसास हर जज़्बात जो दिलो के दर से गुजरती है ,उसकी शुरुआत हमारे साथ से शुरू हुई और तभी महसूस किया इस दोस्ती भरे रिश्तों को ,प्रारंभ और अंत ,वही तक रहा ,जहाँ तक साथ उस रेगिस्तान में कितनी ठंडक थी ,जो अब हसीं वादियों में नही ,दिलो के हाल ,ख्याल पे मिलकर खूब लिखा सबने पर अब वो साथी नही जहाँ आपस में कुछ पढ़ा व पढाया जाए ,इसलिए जब ब्लॉग पे दूसरो की रचना पढ़ती हूँ और उनके ख्याल से जब टकराती हूँ तो अपनी रचना याद आ जाती है ,और उस वक्त कभी मुस्कुरा देती हूँ कभी गमगीन हो कर खो जाती हूँ ,सब कुछ छूट गया साथ के साथ ,अब तो आस नही ,तलाश नही सिर्फ़ एक ' काश ' है ,साँसों की अवधि में क्या होगा ये भी ख़बर नही ,हमलोग के बिछड़ने के साथ ही मैं लिखना बंद दी ,यु कहो माहौल भी नही मिला ,और नही ही किसी से दोस्ती किया ,ये भी कह सकते है मन की इजाजत नही रही ,पर अचानक कुछ वर्ष पहले दो नए दोस्त बने ,जिनकी जिद्द पर फिर लिखना शुरू हुआ उसी में एक ने ब्लॉग भी तैयार किया ,उसके स्नेह व फिक्र को देख मुझे अपनी दोस्ती याद आ गई ,साथ हमारा लंबा तो नही मगर समझ बहुत गहरी है ,इस लिए उसकी बात को मान देने के लिए उसकी बातें मान ली ,दोस्त को पैगाम दोस्त के दिखाए राह पे ही दे रही हूँ ,उसकी वज़ह से इस बर्ष डायरी से ब्लॉग पे उतर आया ,किसी से कुछ कही नही आज तक इसलिए ब्लॉग पे लिखने में संकोच करती रही फिर अपने दोस्त से सलाह ली और उसी ने कहा लिखो ,फिर साहस की क्योकि ये मेरे वश की बात नही ,क्योकि औरो से हाले दिल बयां किया नही न करना चाहती हूं इसलिए ब्लॉग पे वो रचना भी नही लिखती जिनमे जज्बातों का ज़िक्र हो जो हमारे खयालो को उजागर करे ,लिखना मुझे अपने लिए हीअच्छा लगता है ,बीते वक्त की तरह वह भी हमारे तक रुक कर रह गया ,पर सालगिरह पर इसलिए लिखी जिससे कभी तुम भी इसके संपर्क में आ सको ,शायद जुदाई से कटने के यही रास्ते है ,अतीत से दूर भागती हूं पर कभी भाग नही पाई आज के दिन तुम्हे पुरानी यादे , उससे जुड़ी कविता कुछ गानों के बोल भेट स्वरुप लिखकर तुम्हारे नाम कर रही हूं ,
दंश स्मृति के विषैले हो गए ,
रात के सपने सुबह तक खो गए ,
बादलो ने दी चुनौती आँख को
ज़िन्दगी के पृष्ठ गीले हो गए ,
शेष आकर्षण उजालो में नही
आचरण के ढंग मैले हो गए ,
बिजलियों के घात से सहमी हूं मैं
दृष्टि के विस्तार धुंधले हो गए ,
आचमन कर पी गई जीवन व्यथा
स्वाद सब सुख के कैषेले हो गए ,
आंसुओं से ब्याह कर ये क्या किया
गीत के स्वर छंद गीले हो गए ,
____________________
दूसरी रचना आज के अवसर पे ----
सखी तुम्हारे साल गिरह पे
शब्दों भरा ये सौगात ,
तुम तो मेरे पास नही ,जो
कुछ और दे संकू आज ,
सखी तुम्हारे जन्मदिन पे
नम हो गई ये आँख ,
तुम तो मेरे साथ नही
पर पास है ढेरो याद ,
है जिंदा अब भी उन यादो में
सब खट्टे -मीठे अहसास ,
बर्षो बीत गए हमें बिछडे
अब संग है अपने काश ,
बदल चुके इतने बर्षो में
पहचान के भी लिबास ,
जाने तुम कहाँ खो गए
रह गई अधूरी हर बात ,
कहते दुनिया गोल है
शायद कभी टकराए ,
दिन के ढलने से पहले
कभी शाम रौशन हो जाए ,
जितना गहरा साथ रहा
हुई उतनी गहरी दूरी ,
भाग्य के आगे बेबस हुए
लिए हम अपनी मजबूरी ,
सर्द राहो में गर्म धुप का
मिल जाए जो आभास ,
भरकर आंखों में ऐसी उम्मीद
भेज रही ये सौगात ,
सखी तुम्हारे जन्मदिन पे
शब्दों भरा सौगात ,
--____________________-
दिन कुछ ऐसे गुज़राता है कोई
जैसे अहसान उतराता है कोई ,
देर से गूंजते है सन्नाटे
जैसे हमको पुकारता है कोई ,
_______________________
वो तुम न थे ,वो हम न थे ,वो रहगुज़र थी प्यार की ,
लूटी जहाँ बेवज़ह पालकी बहार की ,
---------------------------------
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नही छोडा करते ,
वक्त के शाख से लम्हे नही तोडा करते ,
___________________________
तुम न जाने किस जहाँ में खो गए ,
हम भरी दुनिया में तनहा रह गए ,
आज फिर आप की कमी सी है '
तुम जहाँ भी हो हर वर्ष की तरह इस बार भी तुम्हारे साल गिरह की बधाई देने बैठी हूँ ,फर्क इतना है कि इस बार तुम्हे अपने ब्लॉग के जरिये मुबारकबाद दे रही हूँ ,अवसर तो खुशी का है मगर जुदाई के गम साथ लिए यादो की बौछारों से पलके भीग गई ,करोगे याद तो हर बात याद आएगी गुजरते वक्त की हर मौज ठहर जायेगी ,इस गुजरते वक्त में वो भी गुजर गया जहाँ हम सभी साथ थे ,और इस वक्त के झोखे में बिखर कर दुनिया की भीड़ में भटक गए ,पर उन यादो का क्या जो अभी तक जंजीर में जकड़ी है बस यही ठहर कर रह जाती है ,दूर नही होती ,उन्ही यादो को संजोये ये सफर चलता रहता है ,ऐसे ही कुछ अवसरों पे जब अतीत गहराई पकड़ने लगती है तभी कलम के सहारे उन बिछडे पलों का सफर तय होता है ,हर अहसास हर जज़्बात जो दिलो के दर से गुजरती है ,उसकी शुरुआत हमारे साथ से शुरू हुई और तभी महसूस किया इस दोस्ती भरे रिश्तों को ,प्रारंभ और अंत ,वही तक रहा ,जहाँ तक साथ उस रेगिस्तान में कितनी ठंडक थी ,जो अब हसीं वादियों में नही ,दिलो के हाल ,ख्याल पे मिलकर खूब लिखा सबने पर अब वो साथी नही जहाँ आपस में कुछ पढ़ा व पढाया जाए ,इसलिए जब ब्लॉग पे दूसरो की रचना पढ़ती हूँ और उनके ख्याल से जब टकराती हूँ तो अपनी रचना याद आ जाती है ,और उस वक्त कभी मुस्कुरा देती हूँ कभी गमगीन हो कर खो जाती हूँ ,सब कुछ छूट गया साथ के साथ ,अब तो आस नही ,तलाश नही सिर्फ़ एक ' काश ' है ,साँसों की अवधि में क्या होगा ये भी ख़बर नही ,हमलोग के बिछड़ने के साथ ही मैं लिखना बंद दी ,यु कहो माहौल भी नही मिला ,और नही ही किसी से दोस्ती किया ,ये भी कह सकते है मन की इजाजत नही रही ,पर अचानक कुछ वर्ष पहले दो नए दोस्त बने ,जिनकी जिद्द पर फिर लिखना शुरू हुआ उसी में एक ने ब्लॉग भी तैयार किया ,उसके स्नेह व फिक्र को देख मुझे अपनी दोस्ती याद आ गई ,साथ हमारा लंबा तो नही मगर समझ बहुत गहरी है ,इस लिए उसकी बात को मान देने के लिए उसकी बातें मान ली ,दोस्त को पैगाम दोस्त के दिखाए राह पे ही दे रही हूँ ,उसकी वज़ह से इस बर्ष डायरी से ब्लॉग पे उतर आया ,किसी से कुछ कही नही आज तक इसलिए ब्लॉग पे लिखने में संकोच करती रही फिर अपने दोस्त से सलाह ली और उसी ने कहा लिखो ,फिर साहस की क्योकि ये मेरे वश की बात नही ,क्योकि औरो से हाले दिल बयां किया नही न करना चाहती हूं इसलिए ब्लॉग पे वो रचना भी नही लिखती जिनमे जज्बातों का ज़िक्र हो जो हमारे खयालो को उजागर करे ,लिखना मुझे अपने लिए हीअच्छा लगता है ,बीते वक्त की तरह वह भी हमारे तक रुक कर रह गया ,पर सालगिरह पर इसलिए लिखी जिससे कभी तुम भी इसके संपर्क में आ सको ,शायद जुदाई से कटने के यही रास्ते है ,अतीत से दूर भागती हूं पर कभी भाग नही पाई आज के दिन तुम्हे पुरानी यादे , उससे जुड़ी कविता कुछ गानों के बोल भेट स्वरुप लिखकर तुम्हारे नाम कर रही हूं ,
दंश स्मृति के विषैले हो गए ,
रात के सपने सुबह तक खो गए ,
बादलो ने दी चुनौती आँख को
ज़िन्दगी के पृष्ठ गीले हो गए ,
शेष आकर्षण उजालो में नही
आचरण के ढंग मैले हो गए ,
बिजलियों के घात से सहमी हूं मैं
दृष्टि के विस्तार धुंधले हो गए ,
आचमन कर पी गई जीवन व्यथा
स्वाद सब सुख के कैषेले हो गए ,
आंसुओं से ब्याह कर ये क्या किया
गीत के स्वर छंद गीले हो गए ,
____________________
दूसरी रचना आज के अवसर पे ----
सखी तुम्हारे साल गिरह पे
शब्दों भरा ये सौगात ,
तुम तो मेरे पास नही ,जो
कुछ और दे संकू आज ,
सखी तुम्हारे जन्मदिन पे
नम हो गई ये आँख ,
तुम तो मेरे साथ नही
पर पास है ढेरो याद ,
है जिंदा अब भी उन यादो में
सब खट्टे -मीठे अहसास ,
बर्षो बीत गए हमें बिछडे
अब संग है अपने काश ,
बदल चुके इतने बर्षो में
पहचान के भी लिबास ,
जाने तुम कहाँ खो गए
रह गई अधूरी हर बात ,
कहते दुनिया गोल है
शायद कभी टकराए ,
दिन के ढलने से पहले
कभी शाम रौशन हो जाए ,
जितना गहरा साथ रहा
हुई उतनी गहरी दूरी ,
भाग्य के आगे बेबस हुए
लिए हम अपनी मजबूरी ,
सर्द राहो में गर्म धुप का
मिल जाए जो आभास ,
भरकर आंखों में ऐसी उम्मीद
भेज रही ये सौगात ,
सखी तुम्हारे जन्मदिन पे
शब्दों भरा सौगात ,
--____________________-
दिन कुछ ऐसे गुज़राता है कोई
जैसे अहसान उतराता है कोई ,
देर से गूंजते है सन्नाटे
जैसे हमको पुकारता है कोई ,
_______________________
वो तुम न थे ,वो हम न थे ,वो रहगुज़र थी प्यार की ,
लूटी जहाँ बेवज़ह पालकी बहार की ,
---------------------------------
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नही छोडा करते ,
वक्त के शाख से लम्हे नही तोडा करते ,
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तुम न जाने किस जहाँ में खो गए ,
हम भरी दुनिया में तनहा रह गए ,
टिप्पणियाँ
man ke bhaavon ko saajha karne ke liye
aabhaar.
कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें ! इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !
तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स
आज की आवाज
httP://www.ashokvichar.blogspot.com
aaj aapki ye post padhi , bahut der se main is par ruka hua hoon . aankhe nam hai ..dil me kahin kuch thahar sa gaya hai ..
main nishabd hoon aapke lekhan par aur bhaavabhivyakti par..
aapko dil se badhai
dhanyawad.
meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html
aapka
Vijay