चाह

ले चल 'खुदा ' मुझे वहां

जहाँ दिल ये सुकूं पाये

प्रेम -भावना का आशियाना

हमारी ज़मीं बसाये ,

खुली फिजाओ में बाहे फैलाकर

आजाद खयालो के संग लहराये ।

मेरी तन्हाई , मेरे अरमान

मेरे साथी बन ,

ऊँची उड़ानो के पंख फैलाये ।

टिप्पणियाँ

Yogesh Verma Swapn ने कहा…
aha, kitni vishwaspurna madhur kalpana,kyun na satya ho jaaye?

bahut cute rachna.badhai.
ARUNA ने कहा…
बहुत सुन्दर रचना!
आमीन..... ऐसा ही हो.... लाजवाब लिखा है.
आमीन..... ऐसा ही हो.... लाजवाब लिखा है.
बहुत सुन्दर भाव. बधाई.
Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…
ईश्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करे............

सुन्दर भावपूर्ण रचना पर हार्दिक बधाई.
ज्योति सिंह ने कहा…
aap sabhi logo ko tahe dil se sukhriya .
बढ़िया पोस्ट लगाई है।
मित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ।

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कुछ दिल ने कहा

अहसास.......

एकता.....