उलझन ....
कार्य जब हमारे वश का नही ,
पड़ती है जरूरत साहस की ,
चाह कर भी न उठे जब
कदम किसी संशय में ,
उलझन भरा वह पल ,
फिर किसी कसौटी से
कम नही ,
घिर जाये निर्णायक यदि
दुविधापूर्ण चिंतन में ,
तो देती परिस्थति गवाही
वहां जीवन - संघर्ष की ।
टिप्पणियाँ
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दुविधापूर्ण चिंतन में ,
तो देती परिस्थति गवाही
वहां जीवन - संघर्ष की ।
बहुत सही कहा आपने।
दुविधापूर्ण चिंतन में ,
तो देती परिस्थति गवाही
वहां जीवन - संघर्ष की
हर एक शब्द बोलता हुआ, अपनी बात को पुरजोर तरीके से सामने रखता हुआ और हमें इस जीवन संघर्ष में सतत प्रयासरत रहने की प्ररणा देता हुआ
बधाई स्वीकारें
रचना