बाँध ले आस जीने की
जा रही है जिंदगी
जी सके तो जी ।
बढ़कर आगे थाम ले
आस जीने की ।
खुशियों के बहाने ही
गम के आंसू पी ।
जा रही है जिंदगी
खुशियों से तू जी ।
हो सके तो दे के जा
सबको कोई ख़ुशी ।
बाँट ले तू बढ़कर
गम के बोझ कही ।
जाएगा जो बांधकर
दिल में नफ़रत यूं ही ।
जी सकेगा न तू
उस जहां में भी ।
कर ले गमो से तू
अब तो दोस्ती ।
बढ़कर के आगे थाम ले
अब ये हाथ भी ।
जिद्द से हो रिहा तू
पायेगा ,यहाँ कुछ नहीं ।
जा रही है जिंदगी
मुस्कुरा कर जी ।
जी सके तो जी ।
बढ़कर आगे थाम ले
आस जीने की ।
खुशियों के बहाने ही
गम के आंसू पी ।
जा रही है जिंदगी
खुशियों से तू जी ।
हो सके तो दे के जा
सबको कोई ख़ुशी ।
बाँट ले तू बढ़कर
गम के बोझ कही ।
जाएगा जो बांधकर
दिल में नफ़रत यूं ही ।
जी सकेगा न तू
उस जहां में भी ।
कर ले गमो से तू
अब तो दोस्ती ।
बढ़कर के आगे थाम ले
अब ये हाथ भी ।
जिद्द से हो रिहा तू
पायेगा ,यहाँ कुछ नहीं ।
जा रही है जिंदगी
मुस्कुरा कर जी ।
टिप्पणियाँ
बहुत बढ़िया
वैसे मेरी झोली समक्ष है कुछ गम बांटने के लिए |
नव वर्ष के आँगन मे ऐसी ही रचनाओ की बरसात हो ऐसे विश्वास के साथ
Thanks for sharing.
NAV VARSH MANGALMAY HO.
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
आस जीने की ...
सुंदर अभिव्यक्ति .......... बहुत खूब कहा है जीना है तो जी लो ... समय तो बीत रहा है ...... निकल जाएगा हाथ से इक दिन ....... नव वर्ष की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएँ मंगल मय हो ...........
पायेगा यहाँ कुछ नहीं ....
सच कहा .....!!
एक बेहतरीन कविता।
सादर