बात अपनी होती है तब जीने की उम्मीद को रास्ते देने की सोचते है वो , बात जहाँ औरो के जीने की होती है , वहाँ उनकी उम्मीद को सूली पर लटका बड़े ही आहिस्ते -आहिस्ते कील ठोकते हुये दम घोटने पर मजबूर करते है । रास्ते के रोड़े , हटाने की जगह बिखेरते क्यों रहते हैं ? ........................................ इसका शीर्षक कुछ और है मगर यहाँ मैं बदल दी हूँ क्योंकि यह एक सन्देश है उनके लिए जो किसी भी अच्छे कार्य में सहयोग देने की जगह रोक -टोक करना ज्यादा पसंद करते .
टिप्पणियाँ
जब खो जाये ,
चाँद को उठाओ
जब सो जाये ।
तारो को दो आवाज़
जब छुप जाये ।
सुर मीठे छेड़ो
उदास कही जब ,
मन ये हो जाये
देखन में छोटी लगै, घाव करै गम्भीर.
shukriya mere dost
mehmaan gaye?
yade khazana hai .......
pyaree kavita.......
जब खो जाये , nice
आदरणीय महोदया आपने पुछा था कि क्या मैं कोलकाता से हूं ।
जी हां, मैं कोलकाता से हूं ।
आपका आभार .
उदास कही जब ,
मन ये हो जाये ।
Kitna pyara sandesh hai!
बहुत मासूम रचना है...बधाई.
sur meethe chhedo
udaas kahin jab man ye ho jaye
kya bat kah di aapne ine gine shabdon men ,mubarak ho
aisi hi khushiyan bikherti rahe aap .
shubhkamnaye
उदास मन को मीठे सुर ही उत्साह में बदल सकते हैं।
उदास मन को मीठे सुर ही उत्साह में बदल सकते हैं।