बात अपनी होती है तब जीने की उम्मीद को रास्ते देने की सोचते है वो , बात जहाँ औरो के जीने की होती है , वहाँ उनकी उम्मीद को सूली पर लटका बड़े ही आहिस्ते -आहिस्ते कील ठोकते हुये दम घोटने पर मजबूर करते है । रास्ते के रोड़े , हटाने की जगह बिखेरते क्यों रहते हैं ? ........................................ इसका शीर्षक कुछ और है मगर यहाँ मैं बदल दी हूँ क्योंकि यह एक सन्देश है उनके लिए जो किसी भी अच्छे कार्य में सहयोग देने की जगह रोक -टोक करना ज्यादा पसंद करते .
ओस की एक बूँद नन्ही सी चमकती हुई अस्थाई क्षणिक रात भर की मेहमान ___ जो सूरज के आने की प्रतीक्षा कतई नही करती , चाँद से रूकने की जिद्द करती है , क्योंकि दूधिया रात मे उसका वजूद जिन्दा रहता है , सूरज की तपिश उसके अस्तित्व को जला देती है ।
छोटी सी दो रचनाये --------------------------- महंगाई से अधिक भारी पड़ी हमको हमारी ईमानदारी , महंगाई को तो संभाल लिया इच्छाओ से समझौता कर , मगर ईमानदारी को संभाल नही पाये किसी समझौते पर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मेरी हर हार जीत साबित हुई , बीते समय की सीख साबित हुई l
टिप्पणियाँ
आँखों-आँखों में कटती है ,
रात के बाद सुबह आती है।
नींद को तलाशते ,
आँखों में सुबह होती है ।
धन्यवाद
अच्छे हैं मन के ये उद्दगार उदगारनिरुत्तर ही कर दिया
यही सवाल है ...और जवाब सुबह तक बस ढूंढते हैं !
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'पाखी की दुनिया' में आज मेरी ड्राइंग देखें...