शीर्षक --आदमी
मुनाफे के लिए आदमी
व्यापार बदलता है,
खुशियों के लिए आदमी
व्यवहार बदलता है ,
ज़िन्दगी के लिए आदमी
रफ्तार बदलता है ,
देश के लिये आदमी
सरकार बदलता है ,
तरक्की के लिए आदमी
ऐतबार बदलता है,
दुनिया के लिए आदमी
किरदार बदलता है ।
और इसी तरह
बदलते बदलते
एक रोज यही आदमी
ये संसार बदलता है
10 टिप्पणियां:
बेहतरीन रचना... ,यथार्थ ,सादर स्नेह
धन्यवाद आपका ,नमस्कार
कामिनी जी आपका कमेंट बॉक्स नही खुल रहा कई रचना पढ़ी कमेंट एक ही में कर पाई ।
धन्यवाद यशोदा जी नमस्कार
सार्थक,सुंंदर रचना
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
वाह!!!
क्या बात है...बहुत लाजवाब...
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को शुभकामनायें : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
धन्यवाद संजय जी
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