शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

हम.......

हम ........

मै को अकेले रहना था

 हम को साथ चलना था

एक को खुद के लिए जीना था

 एक को सबके लिए जीना था ,

 इसलिए सबकुछ होते हुए भी  

मै यहाँ कंगाल रहा

 कुछ नही होते हुए भी

 हम मालामाल रहा ।

7 टिप्‍पणियां:

ज्योति सिंह ने कहा…

जय माता की ,धन्यवाद ,हृदय से आपकी आभारी हूँ मैं

Pammi singh'tripti' ने कहा…

सार्थक रचना।

ज्योति सिंह ने कहा…

धन्यवाद आपका

मन की वीणा ने कहा…

वाह वाह बहुत खूब।

रेणु ने कहा…

जब मैं था तब हरि नहीं -- अब हरि हैं मैं नाही
प्रेम गली अति सांकरी - टा में दो ना समाहि!!!!!!!!!
आपकी रचना पढ़कर यही याद आया | मैं में सब होकर भी कंगाली है और हम में कुछ ना होकर भी खुश हाली है | सुंदर अर्थपूर्ण रचना | सस्नेह हार्दिक शुभकामनायें |

Sudha Devrani ने कहा…

वाह!!!
बहुत सुन्दर...

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब....भावों की बहुत प्रभावी और सशक्त प्रस्तुति.