बचपन की हर तस्वीर.......

बीते दिनो की हर बात निराली लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है .

पहली बारिश की बूंदो मे
मिलकर खूब नहाते थे ,
ढेरो ओले के टुकड़ों को
बीन बीन कर लाते थे .

इन बातो मे शैतानी जरूर झलकती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती हैै .

सावन के आते ही झूलें

पेड़ो पर पड़ जाते थे ,

बारिश के  पानी मे बच्चे
कागज की नाव बहाते थे ,

बिना सवारी  की वो नाव भी अच्छी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।

पल में रूठना पल में मान  जाना 
बात बात में मुँह का फूल जाना ,
जिद्द में अपनी बात मनवाना 
हक से सारा सामान जुटाना ,

खट्टी मीठी बातों की हर याद प्यारी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।

कच्ची मिट्टी की काया थी 
मन मे लोभ न माया थी ,
स्नेह की बहती धारा थी 
सर पर आशीषों की छाया थी ,

चिंता रहित बहुत ही मासूम सी जिंदगी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है।

टिप्पणियाँ

Sweta sinha ने कहा…
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ मार्च २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।


वाह , कितनी प्यारी यादें बचपन की . बहुत सुन्दर भाव .
Kamini Sinha ने कहा…
बचपन की प्यारी गलियों की सैर करा दी आपने, अब तो ना बचपन वैसा है ना बचपना,सुंदर सृजन सादर नमन आपको
ख्वाहिशों को अच्छी तरह सहेजा आपने अपनी कविता में...............बहुत सुन्दर .
Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…
बहुत सुंदर भाव 🙏 भोलेबाबा की कृपादृष्टि आपपर सदा बनी रहे।🙏 महाशिवरात्रि पर्व की आपको परिवार सहित शुभकामनाएं
वह निश्चिंत खेलना खाना ,वह निर्भय फिरना स्वच्छंद,
कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनन्द.
- सुभद्रा कुमारी जी का अनुभव आपके कथन की पुष्टि करता है .
ज्योति सिंह ने कहा…
आप सभी का हार्दिक आभार, हौसला बढ़ाने के लिए शुक्रिया,
MANOJ KAYAL ने कहा…
वाह बेहतरीन सृजन
Preeti Mishra ने कहा…
बचपन की सैर करा दी आपने बहुत खूबसूरती से वर्णन किया है

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