रविवार, 11 अप्रैल 2021

एक सच ऐसा भी (क्या हो गयी है तासीर जमाने की )

धूल में सने हाथ

कीचड़ से धूले पाँव ,

चेहरे पर बिखरे से बाल

धब्बे से भरा हुआ चाँद ,

वसन से झांकता हुआ बदन

पेट ,पीठ में कर रहा गमन ,

रुपया ,दो रुपया के लिए

गिड़गिडाता हुआ बच्चा -फकीर ,

मौसम की मार से बचने के लिए

ढूँढ रहा है अपने लिए आसरा 

सड़क के आजू -बाजू ,

भूख से व्याकुल होता हाल

नैवेद्य की आस में बढ़ता पात्र ।

ये है सुनहरा चमन

वाह रे मेरा प्यारा वतन ।

अपने स्वार्थ में होकर अँधा

क्या खूब  करा रहा भारत दर्शन ।

"जहां डाल -डाल पे सोने की

चिड़ियाँ करती रही बसेरा "

बसा नही क्यों फिर से

वो भारत देश अब मेरा ।
⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳🏕
जय हिंद 

22 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी लिखी कोई रचना सोमवार 12 अप्रैल 2021 को साझा की गई है ,
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

ज्योति सिंह ने कहा…

हार्दिक आभार बहुत बहुत धन्यबाद संगीता जी

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

देश जहां आगे बढ़ रहा है,वही अभी भी भुखमरी,गरीबी से पीड़ित लाखो मिल जाएंगे । सही संदर्भों को रेखांकित करती सुंदर रचना ।

Meena Bhardwaj ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Meena Bhardwaj ने कहा…

चिन्तनपरक रचना ज्योति जी । अंत की चार पंक्तियां मन में टीस पैदा करती हैं। अति सुंदर भावाभिव्यक्ति ।

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

नूतनवर्षाभिनंदन...
नवीन वर्ष के नूतन पल से माँ अम्बे सबका कल्याण करे...

जगतनियन्ता सबको शांति, स्वास्थ्य एवं समृद्धि प्रदान करे...

शक्ति आराधना पर्व चैत्र नवरात्रि पर माँ दुर्गा की स्नेहदृष्टि आप सब पर बनी रहे

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

एक शानदार रचना ज्योति जी बहुत ही सुंदर भाव

Jyoti Dehliwal ने कहा…

ये है सुनहरा चमन

वाह रे मेरा प्यारा वतन ।

अपने स्वार्थ में होकर अँधा

क्या खूब करा रहा भारत दर्शन ।

"जहां डाल -डाल पे सोने की

चिड़ियाँ करती रही बसेरा "

बसा नही क्यों फिर से

वो भारत देश अब मेरा ।
विचारणीय और सुंदर सवाल, ज्योति दी।

Anita ने कहा…

मार्मिक रचना

विश्वमोहन ने कहा…

वाह! जीवंत शब्द चित्र सच के एक एक धागे को उघेरता।

Bharti Das ने कहा…

भावनापूर्ण रचना,समाज की दयनीय दशा दिशा का चित्रण

Amit Gaur ने कहा…

आप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अपने देश की पुरातन सोच को विकसित करना होगा .. उसी सभ्यता की और जाना होगा ...
सबको संकल्प लेना होता तभी सम्भव है ऐसा होना ...

MANOJ KAYAL ने कहा…

बहुत ही सुन्दर

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

ज्योति दीदी आप कैसी हैं ? आपने इधर कोई रचना नही डाली,आपके ब्लॉग पर भ्रमण करने आई थी । कि शायद मैने आपकी रचना न देखी हो ।आपको मेरा सादर अभिवादन ।

जेपी हंस ने कहा…

भारत के करुणो की कथा-व्यथा को चित्रित सुंदर रचना।

Umesh ने कहा…

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Harash Mahajan ने कहा…

बहुत ही मर्म लिए हुए । अति सुंदर सृजन ।

Akhilesh pal blog ने कहा…

Nice

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

Zee Talwara ने कहा…

बहुत ही सुन्दर Free me Download krein: Mahadev Photo

ज्योति सिंह ने कहा…

हार्दिक आभार आप सभी मित्रों का, प्रणाम