उस पर ऐतबार रहा
वो ही मददगार रहा
इंसान की जात से तो
दिल बस बेजार रहा ।
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सुनाने वाला सुना देता है
सुनने वाला सुन लेता है
फिजूल की बातों पर
वक्त ही शहीद होता है ।
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खुद के जीने के लिए यू तो कभी सोचा ही नही
ख्वाहिश खुली हवा की हुई न हो ऐसा भी नहीं ।
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ठिकाने बदलते रहे
रिश्तें बदलते रहे
कल से नाता तोड़ कर
आज से बंधते रहे।
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कितने घर बदले
कितने शहर बदले
फिर भी सोच वही थी
लोग नही बदले।
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मौसम अपने मुताबिक थे
फिर भी रास नहीं आये
मन के अच्छे होने से ही
मन को रास सभी आये ।
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ज्यादा की मांग जिंदगी को तबाह कर देती हैं
नाउम्मीदी आदमी को निराश कर देती हैं
अमीरी के कब्र पर पनपी गरीबी की घास
जिंदगी का जीना दुश्वार कर देती हैं ।
21 टिप्पणियां:
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (6-4-21) को "हार भी जरूरी है"(चर्चा अंक-4028) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
अच्छी उक्तियाँ .....
बहुत बहुत शुक्रिया कामिनी जी
हार्दिक आभार
सुप्रभात ज्योति जी ! जीवन के अहसासों को बहुत खूबसूरती से बयान क्षणिकाओं के रूप में अत्यन्त सुन्दर प्रस्तुति ।
मौसम अपने मुताबिक थे
फिर भी रास नहीं आये
मन के अच्छे होने से ही
मन को रास सभी आये ।
अत्यंत सुन्दर सृजन ।
एक-एक छंद (या क्षणिका कहूं इन्हें) लाजवाब कर देने वाला है ।
गहरे में उतरती हुई ... अति सुन्दर ।
यथार्थ के धरातल पर सुंदर गठन सुंदर भाव।
सार्थक एहसास समेटे सुंदर सृजन।
बधाई ज्योति जी।
हर मुक्तक अपने आप में मुक्कमल ... गहन भाव लिए हुए ...
अमीरी के कब्र पर पनपी गरीबी की घास
जिंदगी का जीना दुश्वार देती हैं ।
सटीक ....
दुश्वार कर देती है, टाइप के वक्त ध्यान नही गया, माफ कीजियेगा , बहुत बहुत शुक्रिया संगीता जी
हार्दिक आभार मीना जी
बहुत बहुत शुक्रिया
आपको रचना पसंद आई अमृता जी ये मेरा सौभाग्य है, तहे दिल से आपका शुक्रिया नमन
हार्दिक आभार कुसुम जी 🙏🙏
बहुत बहुत सुन्दर मुक्तक
हार्दिक आभार 🙏🙏
प्रभावपूर्ण ओर सुंदर सृजन
बधाई
बहुत सुंदर सारगर्भित क्षणिकाएं । सुंदर और जज़्बाती एहसासों से भरपूर । सादर शुभकामनाएं आदरणीय ज्योति दीदी ।
वाह! लाजवाब!!
प्रभावपूर्ण ओर सुंदर सृजन
बधाई
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जीवन में इक कमी रही,
और खबर मुझे नहीं रही।
उसने कहा कैसी कट रही ,
मैंने कहा ठीक चल रही ।
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