बुधवार, 10 जून 2009

स्वीकृति

पहले भी चुप रह कर समझे
अब भी चुप रह जायेंगे ,
तुम जैसा चाहोगे हमदम
वैसा साथ निभायेंगे ,
हर सितम सहते आए है
अब ये मुश्किल राह नही ,
ज़ख्म दवा बन जाती ही
जब कोई हो इलाज नही ,
चाहत में ये दस्तूर पुराना
है ये कोई नई बात नही ,
तुम कहना हम रहेंगे सुनते
होगी फिर कहाँ बात कोई ,
तुम जैसा चाहोगे हमदम
होगी हर बात वही ,

11 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

आपके दिल का और स्त्री जीवन का दर्द साफ सा दिखता है,
पर मैं चाहती हूँ,अब तो कम से कम स्त्री चुप रहकर दर्द ना सहे!
चुप रहकर दर्द सहना और गमों को बुलाना है !

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

इतना दर्द कहां से समेट लायीं हैं आप? बेहद भावपूर्ण रचना.बधाई.

"MIRACLE" ने कहा…

दर्द कैसा भी हो उसका इलाज संभव है बस हमें बदलना होगा,भावपूर्ण रचना के लिए साधुवाद .फुरसत मे कभी हमारे दरवाजे पर दस्तक दे . आपका स्वागत है.

ज्योति सिंह ने कहा…

bahas karne se ashaanti aur dard dono badhte isliye chup rahane me bhalaai hai .jahan hal baaton se na ho wahan waqt barbaad hota hai .kuchh jakhm naasoor bhi hote hai beilaaj .
aap sabhi ka shukriya jo mujhe saraaha aur hausale ko badhaaya .

Urmi ने कहा…

मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! अब तो मैं आपकी फोल्लोवेर बन गई हूँ इसलिए आती जाती रहूंगी!
मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!

Sifar ने कहा…

Bahut sunder, lagta hai jaise bas jo tha, sab waisa hi nikaal kar rakh diya hai..............

ज्योति सिंह ने कहा…

babli ji aur sifar ji main kya kahoo shukriya to bahut kam hai .phir bhi dhanyawaad .

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

ये सुन्दर भावनाए.....बहुत ही गहरे एहसास एक उत्कृष्ट रचना
मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.....आपका स्वागत है.....


अक्षय-मन

Prem Farukhabadi ने कहा…

हर सितम सहते आए है
अब ये मुश्किल राह नही ,
ज़ख्म दवा बन जाती ही
जब कोई हो इलाज नही ,
dard hi dard hai koi shikayat nahin hai
jyoti ji ye julm hai muhabbat nahin hai

bhav bhavuk hain kaviyatri ki peeda ka ahsaas karate hain .badhaai.

ज्योति सिंह ने कहा…

main hans padi aaplogo ke vichaar padh aur kya kahoon .bahut bahut shukriya .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह..सम्पूर्ण समर्पण का भाव बताती सुन्दर रचना...........