स्वीकृति
पहले भी चुप रह कर समझे
अब भी चुप रह जायेंगे ,
तुम जैसा चाहोगे हमदम
वैसा साथ निभायेंगे ,
हर सितम सहते आए है
अब ये मुश्किल राह नही ,
ज़ख्म दवा बन जाती ही
जब कोई हो इलाज नही ,
चाहत में ये दस्तूर पुराना
है ये कोई नई बात नही ,
तुम कहना हम रहेंगे सुनते
होगी फिर कहाँ बात कोई ,
तुम जैसा चाहोगे हमदम
होगी हर बात वही ,
अब भी चुप रह जायेंगे ,
तुम जैसा चाहोगे हमदम
वैसा साथ निभायेंगे ,
हर सितम सहते आए है
अब ये मुश्किल राह नही ,
ज़ख्म दवा बन जाती ही
जब कोई हो इलाज नही ,
चाहत में ये दस्तूर पुराना
है ये कोई नई बात नही ,
तुम कहना हम रहेंगे सुनते
होगी फिर कहाँ बात कोई ,
तुम जैसा चाहोगे हमदम
होगी हर बात वही ,
टिप्पणियाँ
पर मैं चाहती हूँ,अब तो कम से कम स्त्री चुप रहकर दर्द ना सहे!
चुप रहकर दर्द सहना और गमों को बुलाना है !
aap sabhi ka shukriya jo mujhe saraaha aur hausale ko badhaaya .
मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.....आपका स्वागत है.....
अक्षय-मन
अब ये मुश्किल राह नही ,
ज़ख्म दवा बन जाती ही
जब कोई हो इलाज नही ,
dard hi dard hai koi shikayat nahin hai
jyoti ji ye julm hai muhabbat nahin hai
bhav bhavuk hain kaviyatri ki peeda ka ahsaas karate hain .badhaai.