छोटी सी दो रचनाये
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महंगाई से अधिक
भारी पड़ी हमको
हमारी ईमानदारी ,
महंगाई को तो
संभाल लिया
इच्छाओ से समझौता कर ,
मगर ईमानदारी को
संभाल नही पाये
किसी समझौते पर
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मेरी हर हार
जीत साबित हुई ,
बीते समय की
सीख साबित हुई l
32 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर .....हार से मिली सीख आगे की जीत की रह आसन करती है....
राह
सशक्त और सार्थक संदेश के लिए आभार...
सादर,
डोरोथी.
waah... yahi to jeet hai
इमानदारी से महंगाई का साथ भी नजदीकी है. अच्छा सन्देश झलक रहा है कविता से. कवितायेँ छोटी हैं मगर अत्यंत प्रभावपूर्ण है. बधाई.
गहन अर्थों का समावेश है दोनों रचनाओं में .....आपका आभार
सुन्दर सामयिक कवितायेँ !
बेहतरीन ।
सादर
Dono rachanayen behtareen hain!
सुन्दर संदेश देती सार्थक रचनायें
Yahi haar to jeet hai!
ज्योति ... दोनों ही अच्छी कविताएं है .. लेकिन दूसरी कविता ने बहुत ज्यादा असर छोड़ा है मन परे.. कुछ ज्यादा ही गहरी है ...
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
ज्योति ... दोनों ही अच्छी कविताएं है .. लेकिन दूसरी कविता ने बहुत ज्यादा असर छोड़ा है मन परे.. कुछ ज्यादा ही गहरी है ...
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
bhaut hi saskt rachna...
umdaa soch hai....badhayee
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/
मेरा मन कितनी सरलता से कह दिया आपने, आभार।
बहुत सुन्दर रचनायें हैं दोनों ही. बधाई.
choti si hain magar bahut kuch keh jati hain didi bahut hi accha likha hai...niche wale char shabd to kamal karte hain honsla badate hain
satik aur lajawab bahut accha laha aapke dusre blog par v aakar...
didi aap is blogg par vaa kar padna aapko bahut accha lagega ummid hai...
http://akshay-mann-muktak.blogspot.com/
आदरणीया ज्योति सिंह जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
क्या बात है ! अच्छी लघु रचनाएं लिखी हैं आपने -
महंगाई को तो संभाल लिया
इच्छाओ से समझौता कर ,
मगर ईमानदारी को संभाल नही पाये किसी समझौते पर
सच है, आप-हम जैसे ईमानदारी से किसी हाल में समझौता कहां कर पाते हैं !
दूसरी रचना भी जैसे इसी से जुड़ी है … अंततः ईमानदारी की हार जीत ही साबित होती है … :)
बधाई आपके अनुभव के लिए
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
वाह ज्योति जी, बहुत खूब लिखा है आपने
दोनों रचनाएं सीख देने वाली हैं.
सच्चाई को आपने बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! सुन्दर सन्देश देती हुई उम्दा रचना के लिए बधाई!
bahut badiya kshnikae.....chotee par vaznee.......
बहुत सुंदर,
आपका आभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
aap sabhi ki aabhari hoon dil se .
संदेशपरक, सटीक और सार्थक रचना.
दोनों रचनाएँ सार्थक सन्देश दे रही हैं ... लोंग सच ही ईमानदार भी नहीं रहने देते :)
मेरी हर हार जीत साबित हुई ,
बीते समय की सीख साबित हुई
वर्तमान की सच्चाई निहित है आपकी इस रचना में.... आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
bahot achche.....
सशक्त और सार्थक संदेश...हार से मिली सीख आगे की जीत ..यही सत्य है....
सुँदर ढंग से सामयिक विचार रखे है . आभार .
बेटे समय से जो सीखता है वो जीतता है ... सार्थक सन्देश हिया दोनों में ...
क्या कहने!
शानदार बातें कह दीं हैं आपने.
अनुपम अभिव्यक्ति के लिए आभार.
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