कुछ और नही जिंदगी बस ये प्यार है

प्यार देने का भी सलीका होता है

प्यार लेने का भी सलीका होता है,

जिंदगी में मुश्किलें कम तो नही

आसान करने का भी सलीका होता है ।

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दर्दे ताल्लुकात पर मैंने

कोई सवाल नही किया,

इसका मतलब ये तो नही

मैने प्यार दर्द से ही किया ।

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दिल सुनता रहा

दिल सहता रहा ,

सब्र का सिलसिला

यू ही चलता रहा ।

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हर हाल में जीने को दिल ये तैयार है

कुछ और नही जिंदगी बस ये प्यार है ।

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टिप्पणियाँ

Bharat Thakur ने कहा…
बहुत खूब लिखा है ज्योति जी
https://yourszindgi.blogspot.com
अजय कुमार झा ने कहा…
सरल और सुंदर ।
Digvijay Agrawal ने कहा…
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 18 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
Jyoti Singh ने कहा…
आपका हार्दिक आभार ,और साथ ही बहुत बहुत धन्यवाद,
Jyoti Singh ने कहा…
अजय जी बहुत बहुत शुक्रियां ,आप सभी की टिप्पणिया मन मे उत्साह जगाती है ।
Jyoti Singh ने कहा…
शुक्रियां दिग्विजय जी ,अवश्य आऊँगी ,नमस्कार
SUJATA PRIYE ने कहा…
वाह बेहतरीन सृजन।
जिंदगी प्यार हो जाये तो अनंत की प्राप्ति है ... सुकून है ... शान्ति है ...
Dulkanthi Samarasinghe ने कहा…
वाह। क्या खूब। शानदार।
Sunil "Dana" ने कहा…
प्यार देने और लेने का सलीका ..बहुत खूब !!!
Jyoti Singh ने कहा…
सुनील जी सादर आभार आपका
vandana gupta ने कहा…
कुछ और नहीं ज़िन्दगी बस ये प्यार है .......बहुत सुन्दर

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