हार्दिक आभार, संगीता जी बहुत बहुत धन्यबाद ,इसी प्रकार मार्गदर्शन करती रही, कभी भी कोई कमी नजर आये बेझिझक बताये और साथ में सुधार भी दे, मैं तो चाहती हूँ, आपलोगो के संगत का मुझे भी फायदा मिले, अच्छा सीख पाऊँ अच्छा लिख पाऊँ,जिससे आप सभी के साथ जुड़ी रहूँ,गलती होना बड़ी बात नही,सही होना बड़ी बात है, आप बहुत अच्छी है ,ये अपनापन यू ही बनाये रहे। कभी कभी गलतियां भी कुछ अच्छा कर जाती है , आज मै बहुत खुश हूँ, ऐसी गलतियों पर नाज है जो जिंदगी को बेहतर बना जाये।
प्रिय ज्योति, तुमने मेरी बात को सकारात्मक लिया उसके लिए शुक्रिया । थोड़ा झिझक रही थी लिखते हुए । लेकिन मैंने देखा है अपनी पुरानी पोस्ट पर तुमको तो मालूम है कि तुम मेरी पुरानी पाठक हो । इस लिए मुझे थोड़ा जानती होंगी । अभी ठीक है ये तुमने ऊपर की पंक्तियों से मिलाते हुए स्त्रीलिंग में लिख दिया था । ऐसा मुझे लगता है ।अभी परफेक्ट । 👌👌👌👌👌
बात अपनी होती है तब जीने की उम्मीद को रास्ते देने की सोचते है वो , बात जहाँ औरो के जीने की होती है , वहाँ उनकी उम्मीद को सूली पर लटका बड़े ही आहिस्ते -आहिस्ते कील ठोकते हुये दम घोटने पर मजबूर करते है । रास्ते के रोड़े , हटाने की जगह बिखेरते क्यों रहते हैं ? ........................................ इसका शीर्षक कुछ और है मगर यहाँ मैं बदल दी हूँ क्योंकि यह एक सन्देश है उनके लिए जो किसी भी अच्छे कार्य में सहयोग देने की जगह रोक -टोक करना ज्यादा पसंद करते .
ओस की एक बूँद नन्ही सी चमकती हुई अस्थाई क्षणिक रात भर की मेहमान ___ जो सूरज के आने की प्रतीक्षा कतई नही करती , चाँद से रूकने की जिद्द करती है , क्योंकि दूधिया रात मे उसका वजूद जिन्दा रहता है , सूरज की तपिश उसके अस्तित्व को जला देती है ।
छोटी सी दो रचनाये --------------------------- महंगाई से अधिक भारी पड़ी हमको हमारी ईमानदारी , महंगाई को तो संभाल लिया इच्छाओ से समझौता कर , मगर ईमानदारी को संभाल नही पाये किसी समझौते पर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मेरी हर हार जीत साबित हुई , बीते समय की सीख साबित हुई l
टिप्पणियाँ
मार्मिक रचना .
सादर
तुमने मेरी बात को सकारात्मक लिया उसके लिए शुक्रिया । थोड़ा झिझक रही थी लिखते हुए । लेकिन मैंने देखा है अपनी पुरानी पोस्ट पर तुमको तो मालूम है कि तुम मेरी पुरानी पाठक हो । इस लिए मुझे थोड़ा जानती होंगी ।
अभी ठीक है ये तुमने ऊपर की पंक्तियों से मिलाते हुए स्त्रीलिंग में लिख दिया था । ऐसा मुझे लगता है ।अभी परफेक्ट । 👌👌👌👌👌
आदरणीय ज्योति जी बहुत ही सुंदर रचना