जमा के रखो पैर ज़मीं पर जो आँधियाँ न उड़ा सकें हौसला इतना हो मन में कि गगन चूम सकें ।मैथली शरण गुप्त जी ने कहा है कि नर हो न निराश करो मन को
हार्दिक आभार
सच में जमीन से जुड़ी हुई सुंदर रचना ।
आप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
बहुत ही सुंदर रचना!!!
बहुत ही सुंदर रचना!!! Free me Download krein: Mahadev Photo
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6 टिप्पणियां:
जमा के रखो पैर ज़मीं पर
जो आँधियाँ न उड़ा सकें
हौसला इतना हो मन में
कि गगन चूम सकें ।
मैथली शरण गुप्त जी ने कहा है कि नर हो न निराश करो मन को
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