स्मृतियाँ
स्मृतियाँ लहराती है
भीनी -भीनी खूशबू सी ,
उड़ती है लेकर यादों की
सिमटी हुई धूल ।
हर याद किसी शै को
साथ लिए होती है ।
कभी वह उभरती हुई
कभी डूबी होती है ।
मानस पटल पर ये रेखा
जुडी होती है किसी रस्म -भांति ,
तय करती है कभी फासले
कभी नजदीक होती है ।
अतीत -वर्तमान को
नापती - तौलती हुई ,
कभी सहारा देती
कभी बेसहारा करती है ।
टिप्पणियाँ
भीनी -भीनी खूशबू सी ,
बहुत खूबसूरत रचना
नापती - तौलती हुई ,
कभी सहारा देती
कभी बेसहारा करती है,
आपके अभिव्यक्ती का नया प्रशंशक ....
नापती - तौलती हुई ,
कभी सहारा देती
कभी बेसहारा करती है,
बडी ही अच्छी रचना लिखी है आपने।
बहूत ही सुन्दर
आभार/ मगल भावनाऐ
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
SELECTION & COLLECTION
शब्द-शिखर पर नई प्रस्तुति - "ब्लॉगों की अलबेली दुनिया"
Yaaadein jeevan hain
yaaadon ki sondhi sondhi khushboo hame hamse jodti hai.
achchi rachna hai. likhte rahiye.
Dr Jagmohan Rai