बेलगाम ख्यालो के संग
हर क्षण , हर पल
फैसले यहाँ बदलते है ।
ज़िन्दगी जीने की चाह भी
कितने रंग में ढलती है ।
अस्थाई ख्वाहिशों के महल
निराधार ही होते है ।
बेलगाम ख्यालो के संग
फिर भी
हवाओ में सफर तय
करते है ।
टिप्पणियाँ
फिर भी आज का इन्सान अपने विचारों को "चिरस्थायी" डंके की चोट पर कहने से नहीं चूकता, भले ही उसके चीथड़े कुछ ही दिनों में हवाओं के साथ उड़ने लगे.
सुन्दर, गहन विचारों की प्रस्तुति.
हार्दिक बधाई.
निराधार ही होते है ।
बेलगाम ख्यालो के संग
फिर भी
हवाओ में सफर तय
करते है ।
बहुत ही सटीक और वाजिब ख्याल
और अब मेरी बात ..
हर दिन एक ख़्वाब
मेरी आँखों में
उठ खड़ा होता है
जिसे मैं बड़ी बेरहमी से
हकीक़त की दीवार में
चुन देती हूँ !