बुधवार, 17 अगस्त 2011


ख्यालो की दौड़ कभी
थमती नही

कलम को थाम सकू

वो फुर्सत नही ,

जब भी कोशिश की

पकड़ने की

वक़्त छीन ले गया ,

एक पल को

रूकने नही दिया ,

सोचती हूँ

इन्द्रधनुषी रंग सभी

क्या बादल में ही

छिप कर रह जायेंगे ,

या जमीं को भी

कभी हसीं बनायेंगे l



26 टिप्‍पणियां:

केवल राम ने कहा…

इन्द्रधनुषी रंग सभी
क्या बादल में ही
छिप कर रह जायेंगे ,
या जमीं को भी
कभी हसीं बनायेंगे l

जरुर बनायेंगे ...बस हम अपना सार्थक प्रयास करते रहें ....!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यही प्रवाह बना रहे, हठी तट राह देंगे।

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

bahut sundar post

जब भी कोशिश की
पकड़ने की
वक़्त छीन ले गया ,
एक पल को
रूकने नही दिया

waah !

यशवन्त माथुर (Yashwant Raj Bali Mathur) ने कहा…

बहुत ही अच्छी कविता।

सादर

Neelkamal Vaishnaw ने कहा…

नमस्कार....
बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"

इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्

1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

2- BINDAAS_BAATEN: रक्तदान ...... नीलकमल वैष्णव

3- http://neelkamal5545.blogspot.com

vandan gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना।

Maheshwari kaneri ने कहा…

जब भी कोशिश की
पकड़ने की
वक़्त छीन ले गया ,
एक पल को
रूकने नही दिया...बहुत खूबसूरती से अपने भावो को सजाया है....

Alpana Verma ने कहा…

इन्द्रधनुषी रंग सभी
क्या बादल में ही
छिप कर रह जायेंगे .........

मन में प्रबल इच्छा हो तो एक दिन सपने पूरे होते हैं ..हौसले बुलंद रखीये..

Rahul Paliwal ने कहा…

माध्यम बनना हैं बस, बाकि कब किसी ने कोई रचना की हैं, रचनाकार तो सिर्फ एक ही हैं.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Minakshi Pant ने कहा…

ये विचारों कि ही तो दौड है जो हर पल दौडती रहती है उससे हम सच में नहीं पकड़ पते जिस तरह समय पर किसी का बस नहीं वैसे विचारों पर भी किसी कि पकड़ नहीं | संसार का सारा कारवां वक्त और सोच पर ही टिका है |
बहुत सुन्दर रचना सार्थक |

Neelkamal Vaishnaw ने कहा…

ज्योति जी बहुत बहुत धन्यवाद् आपको मेरे ब्लाग में आने पर आप दोबारा जरुर आये और वहा से मेरे अन्य ब्लाग लिखा है वह क्लिक करके दुसरे ब्लागों पर भी जा सकते है आपको जो मेरी व्यंग्य पसंद आई उसके लिए भी धन्यवाद्

MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.......

mridula pradhan ने कहा…

bahut sunder......

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

इन्द्रधनुषी रंग सभी
क्या बादल में ही
छिप कर रह जायेंगे ,
या जमीं को भी
कभी हसीं बनायेंगे...
कितनी खूबसूरती से कही है ये बात...
ज्योति जी, बहुत बहुत बधाई.

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

सुन्दर भावाव्यक्ति............

Urmi ने कहा…

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना! बेहतरीन प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

इन्द्रधनुषी रंग सभी
क्या बादल में ही
छिप कर रह जायेंगे ........

बेहद उम्दा रचना

Satish Saxena ने कहा…

यकीनन जमीन पर भी आयेंगे ! स्पष्ट अभिव्यक्ति के लिए बधाई ....

Satish Saxena ने कहा…

यकीनन जमीन पर भी आयेंगे ! स्पष्ट अभिव्यक्ति के लिए बधाई ....

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

sunder bhav pravah rachna. lekin kalam hath me aa hi gayi...aur samay ne fursat de hi di.

apka mere is blog par bhi swagat hai.

http://anamka.blogspot.com/2011/08/blog-post_20.html

Kunwar Kusumesh ने कहा…

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.

Urmi ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच है जब ये रंग बादल से उतर धरती पे आ जायेंगे ... बहार तभी आएगी ... लाजवाब रचना है ...

Rakesh Kumar ने कहा…

वाह! आपने तो आपने मानस में छिपे भावों का
मन मोहक इन्द्रधनुषी रंग प्रस्तुत कर दिया है.

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

Dev ने कहा…

Bahut khoob bhav hai. bas nakaratmakta ko sakaratmakta ka sahara mil jaye.