महिलाओ को एक दूजे का
साथ जरूरी है ,
हक -सम्मान का आपस में
लेन -देन जरूरी है ।
तभी मिटेगी किस्मत की
अँधेरी तस्वीर ,
धो देगी मन के मैल सभी
संगम धारा की नीर ।
फूट पड़ेगी प्रेम की धारा
प्रीत की रीत से ,
बदल जायेगी हर तस्वीर
संगठन की जीत से ।
हर राह सुलभ हो जायेगी
एकता की जंजीर से ,
अरमानो के फूल खिलेंगे
सुखे हुए हर वृक्ष से ।
नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा
मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?
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महिला दिवस की सबको बधाई इन पंक्तियों के साथ
एक पल ठहरे जहां जग हो अभय
खोज करती हूँ उसी आधार की ।
8 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 05 मार्च 2021 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०३-२०२१) को 'निसर्ग महा दानी'(चर्चा अंक- ३९९७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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अनीता सैनी
हर जीत में एकता ज़रूरी है ।सुंदर ।
बहुत सुन्दर सृजन।
बहुत ही सुंदर सृजन,संगठन की ही जीत होती है,और अब इसी की आवश्कता है.
सादर नमन आपको
बहुत सुंदर सृजन।
बेहतरीन सृजन
महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
सुंदर प्रेरक पंक्तियां।
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