कुछ इज़हार है , कुछ इकरार है ,
अहसासों का ये दरबार है ,
चाहो तो , कुछ तुम भी कह लो ,
दिल के बोझ को कम कर लो ,
फिर ऐसे मौके कब आयेंगे ,
जहाँ हाल दिल के कह पायेंगे ,
दोष न देना ऐसे मौके को ,
ये खता न ख़ुद से होने दो
7 टिप्पणियां:
दिल की बातें हैं ...दिल ही जानता है ...
.खता दिल करता है भुगतना सम्पूर्ण
अस्तित्व को पड़ता है
bahut khoob kaha aur sach bhi . shukriya pukhraaj ji .
फिर से सुन्दर
kishore ji bahut-bahut dhanwaad .
सचमुच सुन्दर.
सुंदर अभिव्यक्ति
आप अच्छा लिखते हैं ,आपको पढ़कर खुशी हुई
साथ ही आपका चिटठा भी खूबसूरत है ,
यूँ ही लिखते रही हमें भी उर्जा मिलेगी ,
धन्यवाद
मयूर
अपनी अपनी डगर
mayur ji ,vandana ji aap dono ka shukriya .mayur ji aapki taarif se meri urja shakti badh gayi .
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