बुधवार, 20 मई 2009

संशय

अनजान से रास्ते ,
पहचान लिए
साथ में ,
चल रहे हम
दिशा की ख़बर नही ,
चाह फिर भी ,
बढ़ने की ,
राह तो
कही नही ,
भूल रहे हम

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

अनजानी राहों में चलने का मज़ा ही
कुछ और है ....

बेनामी ने कहा…

kho kar bhi raahen mil sakti hain,
par pahachaan nahi ....

ज्योति सिंह ने कहा…

aap dono ki baten sahi hai .chunouti ko swikaar kar jo jeet haasil hoti hai us ka ek apna rang hai .dhanyawaad .