अश्को का सैलाब
डबडबा रहा है आंखों में ,
फिर भी एक बूँद
पलको पर नही ,
निशब्द खामोशी भरी उदासी
कहने को बहुत कुछ पास में ,
परन्तु बिखरी है संशय की
धुंध भरी नमी सी ,
कितनी दुविधापूर्ण स्थिति
होती है यकीन की ।

टिप्पणियाँ

परन्तु बिखरी है संशय की
धुंध भरी नमी सी ,
कितनी दुविधापूर्ण स्थिति
होती है यकीन की ।

यकीन और संशय के बीच झूलते शब्द
कितने मुखर और कितने निशब्द !!!
Yogesh Verma Swapn ने कहा…
kitni duvidha .............yakeen ki.

bahut adbhut panktian. sunder rachna,
बहुत अच्छे से अपनी दुविधा को बयान किया है आपने. बधाई.
शोभना चौरे ने कहा…
bahut hi sundarta se ykeen ko ykeen dila diya .
abhar
शोभना चौरे ने कहा…
bahut hi sundarta se ykeen ko ykeen dila diya .
abhar
ज्योति सिंह ने कहा…
आप सभी को धन्यवाद दिल से .

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