द्वेष
बाढ़ की चपेट में
सारा गाँव ,
आतंक कुछ क्षेत्र का
आतंकित सारा समाज ,
आतंकवादी कुछ एक
शिकार सम्पूर्ण देश ।
चलो ढूंढें ऐसी जगह
न हो ,जहाँ सांप्रदायिक दंगे
न हो , कोई क्लेश ।
टूट गया इंसानियत का ढांचा
वज़ह रही एक द्वेष ।
टिप्पणियाँ
न हो ,जहाँ सांप्रदायिक दंगे
न हो , कोई क्लेश।"
बेहतरीन भावों से सजी-सँवरी रचना।
बधाई।
न हो ,जहाँ सांप्रदायिक दंगे
न हो , कोई क्लेश ।
यह खोज मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं.....